देवघर: जिले के देवीपुर प्रखंड में देर रात उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी खुद एक मरीज को देखने के लिए बसनली नाम के एक दूरदराज के गांव में पहुंचे. इस घटना के बारे में स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने बताया कि शुक्रवार देर रात एक महिला ने उन्हें फोन करके कहा कि अगर वे नहीं आए तो उनके पति की जान चली जाएगी. यह सुनकर वे तुरंत अपनी पूरी टीम के साथ बसनली गांव पहुंचे. वहां उन्होंने आदिवासी महिला के पति का हाल जाना और चिकित्सीय सलाह दी.
देवीपुर पहुंचने पर स्वास्थ्य मंत्री ने सबसे पहले परिवार वालों से पूछा कि जब मरीज की हालत इतनी खराब थी तो वे पास के एम्स क्यों नहीं गए. तब उन्हें बताया गया कि एम्स ने मरीज को यह कहकर लौटा दिया कि वहां इलाज संभव नहीं है. पूरी घटना के बारे में स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि एम्स अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभा रहा है, जिससे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था कमजोर हो रही है.
उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि एम्स भारत सरकार का संस्थान है, और इसलिए राज्य के लोगों को सही इलाज नहीं मिल रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि एम्स राजनीतिक गतिविधियों का अड्डा बनता जा रहा है, जिसके कारण गरीब लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है.
स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि जैसे ही उन्हें पता चला कि एम्स ने मरीज का इलाज करने से मना कर दिया है, उन्होंने तुरंत रिम्स के सीनियर अधिकारियों को फोन किया और उनसे मरीज को जल्द से जल्द सबसे अच्छा इलाज देने को कहा. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जिस तरह से एम्स अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है, उसे देखते हुए वे भविष्य में एम्स के अधिकारियों के साथ एक मीटिंग करेंगे और उन्हें राज्य के मरीजों का इलाज करने के लिए प्रतिबद्ध रहने का निर्देश देंगे.
स्वास्थ्य मंत्री के इस कदम के बारे में देवघर के सिविल सर्जन युगल किशोर चौधरी ने कहा कि अगर स्वास्थ्य मंत्री खुद मरीजों की जांच करने और उनके सही इलाज को सुनिश्चित करने में इतने सक्रिय हैं, तो अधिकारी निश्चित रूप से अपने कर्तव्यों के प्रति ज्यादा गंभीर होंगे.
