“धुले में नहीं चलेगी बीजेपी की मनमानी!” शिंदे सेना का कड़ा रुख, निकाय चुनावों में हार के बाद गहराया विवाद
महाराष्ट्र में ‘धुले महानगरपालिका चुनाव’ को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. नगर निगम की कुल 74 सीटों के लिए होने वाले इस चुनाव में सत्ताधारी खेमे की महायुति अब तक अटकी हुई है. सूत्रों के अनुसार, शिंदे की शिवसेना ने युति में 17 सीटों की मांग रखी थी, जबकि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ 5 सीटें देने पर अड़ी हुई है. वहीं भिवंडी में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस के पूर्व महापौर जावेद ने पार्टी छोड़ दी है.
इसी सीट बंटवारे को लेकर गत दिवस हुई बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई. इस बीच खबर है कि सोमवार को शिवसेना शिंदे गुट ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) से बातचीत का दौर शुरू किया है. हालांकि, अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है और स्थिति यथावत बनी हुई है. सूत्रों का कहना है कि सोमवार देर रात तक इस मुद्दे पर कोई न कोई निर्णय सामने आ सकता है. या फिर मंगलवार को पूरी तस्वीर साफ हो सकती है.
धुले में महाविकास आघाड़ी निकली आगे
अब सबकी नजर इस पर टिकी है कि आगे चलकर शिवसेना-एनसीपी (अजित पवार) के बीच युति बनती है या फिर बीजेपीशिवसेना के बीच समझौता होता है. अब इसका फैसला आने वाले समय में होगा. उधर, विपक्षी खेमे में महाविकास आघाड़ी का गठन हो चुका है. महाविकास आघाड़ी में 30 सीटें कांग्रेस को, 30 सीटें शिवसेना और बाकी सीटें महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को मिली हैं.
भिवंडी में कांग्रेस को झटका
भिवंडी निजामपुर शहर महानगरपालिका चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है. कांग्रेस से पूर्व महापौर रह चुके जावेद गुलाम मोहम्मद दलवी ने पार्टी से नाता तोड़ते हुए अपनी नई राजनीतिक पहल “भिवंडी विकास आघाड़ी-एकता मंच” के बैनर तले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. जावेद दलवी ने अपने पैनल के साथ नामांकन फॉर्म भी भर दिया है.
वहीं काग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप पप्पू राका ने जावेद दलवी के नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है. इतना ही नहीं, प्रदीप राका की बेटी, जो कांग्रेस से नगरसेवक रह चुकी हैं, उन्होंने भी दलवी के पैनल से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इसे भिवंडी में कांग्रेस संगठन के लिए बड़ा राजनीतिक नुकसान माना जा रहा है.
भिवंडी में ढाई वर्ष तक महापौर रहे थे जावेद दलवी
गौरतलब है कि इससे पहले भिवंडी निजामपुर शहर महानगरपालिका में कांग्रेस की ओर से जावेद दलवी ढाई वर्ष तक महापौर रहे थे. उनके कार्यकाल के बाद कांग्रेस ने ढाई साल के लिए ऋषिका पप्पू राका को महापौर पद का उम्मीदवार बनाया था. हालांकि, उस दौरान कांग्रेस के 18 नगरसेवकों ने बगावत करते हुए केवल चार नगरसेवकों वाली विलास आर. पाटिल की पार्टी की नगरसेविका प्रतिभा विशेष पाटिल को महापौर बना दिया था.
जावेद ने नगरसेवकों को अयोग्य घोषित कराया
इस राजनीतिक उठा-पटक के बाद जावेद दलवी ने कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसमें सभी बागी नगरसेवकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया. साथ ही उन पर छह वर्षों तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया, जो फिलहाल भी प्रभावी है. अब एक बार फिर जावेद दलवी की सक्रिय राजनीति में वापसी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का उनके साथ जाना, भिवंडी की चुनावी राजनीति को नया मोड़ देता नजर आ रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस घटनाक्रम से आगामी महानगरपालिका चुनाव में मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है.
