उमर अब्दुल्ला सरकार में बड़ी दरार! अपनी ही पार्टी के सांसदों ने खोला मोर्चा, बोले- ‘विचारधारा से समझौता नहीं’ हिमाचल प्रदेश By Nayan Datt On Dec 28, 2025 जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला सरकार को अपनी ही पार्टी के सांसद आगा रुहुल्लाह मेहदी के आरक्षण नीति पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है. आगा रुहुल्लाह ने उमर पर पार्टी की मुख्य विचारधारा से समझौता करने” का आरोप लगाया है. इस विरोध के पीछे की वजह आरक्षण नीति के युक्तिकरण में हो रही देरी को बताया जा रहा है. सांसद ने ऐलान किया कि वे श्रीनगर के सामान्य वर्ग के छात्रों के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे. यह भी पढ़ें पहाड़ों पर बर्फबारी, मैदानों में ठिठुरन! कश्मीर से हिमाचल तक… Dec 29, 2025 कश्मीर में फिर ‘नजरबंदी’ का दौर! आखिर क्यों… Dec 28, 2025 आगा रुहुल्लाह ने उमर सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार पार्टी की विचारधारा से समझौता कर रही है. लोगों को अब तक आरक्षण नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मैं छात्रों को अकेला नहीं छोड़ूंगा. अगर सरकार उन्हें भरोसे में लेने और मुद्दे को हल करने में विफल रहती है, तो मैं विरोध प्रदर्शन में शामिल हो जाऊंगा. उन्होंने ये भी कहा कि आज 28 दिसंबर को श्रीनगर में होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे. छात्र संगठन की तरफ से इस बारे में जानकारी भी शेयर की गई है. विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के ऐलान के बाद NC सांसद मेहदी ने सोशल मीडिया पर कहा कि उनके घर के बाहर हथियारबंद पुलिस तैनात कर दी गई है. इसकी तस्वीरें और वीडियो भी सांसद ने शेयर किए हैं. क्या है विरोध की असली वजह? सांसद के विरोध की असली वजह है मौजूदा आरक्षण है. मौजूदा आरक्षण नीति के अनुसार, जिसे सीधे केंद्रीय शासन के दौरान लागू किया गया था. सामान्य वर्ग – जो जम्मू-कश्मीर की आबादी का लगभग 70% है. इनको सरकारी भर्तियों में केवल 40% सीटें आवंटित की जाती हैं. हालांकि सरकार ने हाल ही में कैबिनेट में इसमें संशोधन करने का फैसला किया था. सूत्रों के अनुसार कैबिनेट की तरफ से ये तय किया गया था कि मेरिट (सामान्य) वर्ग के लिए उपलब्ध होंगी. हालांकि, इस फैसले के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मंजूरी की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि फाइल 3 दिसंबर को एल-जी के कार्यालय भेजी गई थी, लेकिन यह अभी भी लंबित है. आरक्षण नियमों मे हुए थे कई बदलाव 2019 में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद, जम्मू-कश्मीर के आरक्षण नियमों में बड़े बदलाव हुए थे. पिछले साल मार्च में, केंद्र ने पहाड़ी भाषी लोगों के साथ-साथ पडारी, कोली और गड्डा ब्राह्मण जैसे समूहों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया था. पहले, सिर्फ़ गुज्जर और बकरवाल जनजातियों को 10% कोटे के साथ ST कैटेगरी में रखा गया था. नए ग्रुप को शामिल करने के बाद, ST कोटा दोगुना होकर 20% हो गया है. देश के बाकी हिस्सों के उलट, जम्मू और कश्मीर में जनरल कैटेगरी के लोगों को भर्ती प्रक्रियाओं में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि नई पॉलिसी की पूरी जानकारी तभी पता चलेगी जब L-G कैबिनेट के फैसले को मंजूरी देंगे. हालांकि इसमें हो रही देरी के कारण पार्टी में ही विरोध उठने लगा है. Share