बजट में नगरीय निकायों को मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति राशि शून्य

भोपाल । वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में सरकार ने जहां हर वर्ग को साधने की कोशिश की है, वहीं नगरीय निकायों को मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति मद में राशि शून्य दर्शा कर कर्मचारियों के साथ ही जनता को पसोपेस में डाल दिया है। निकायों के कर्मचारियों को अपने वेतन का डर सताने लगा है, वहीं जनता पर टैक्स का भार पडऩे की संभावना बढ़ गई है।दरअसल, सरकार ने नगरीय निकायों की चुंगी क्षतिपूर्ति मद पर ब्रेक लगा दिया है। यानी शासन ने इस मद को बंद कर दिया है। हालांकि इसकी भरपाई के लिए सरकार ने दूसरे मद में व्यवस्था की है। लेकिन इससे प्रदेश के 420 नगरीय निकायों के सवा लाख से ज्यादा अधिकारी- कर्मचारी चिंतित हो गए हैं। वजह-शासन से मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति राशि से ही नगरीय निकाय तनख्वाह बांटते हैं।

नगरीय निकाय टैक्स स्लैब में इजाफे की संभावना
चुंगी क्षतिपूर्ति मद बंद किए जाने से अंदेशा यह भी जताया जा रहा है कि चुंगी क्षतिपूर्ति राशि ब्रेक होने से हुए नुकसान की भरपाई के रूप में कहीं नगरीय निकाय टैक्स स्लैब में इजाफा न कर दें। ऐसा होता है तो इसका भार अंतत: आम आदमी पर ही पड़ेगा। नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों को आत्मनिर्भर मानते हुए राज्य सरकार ने इन्हें हर महीने चुंगी क्षतिपूर्ति के रूप में मिलने वाली 324 करोड़ रुपए की मदद रोक दी है। वैसे भी निकायों को मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति राशि देने से पिछले तीन सालों से सरकार कतराती आ रही है।

कर्मचारियों की तनख्वाह चुंगी क्षतिपूर्ति से
चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि से कर्मचारियों की तनख्वाह मिलती है। उदाहरण के तौर पर भोपाल नगर निगम अपने 14 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की तनख्वाह चुंगी क्षतिपूर्ति से मिलने वाली सशि से ही देता है। वेतन-भत्तों के लिए निगम को प्रतिमाह 22 करोड़ की जरूरत होती है, जबकि निगम को 28 करोड़ की चुंगी क्षतिपूर्ति मिलती है, जिसमें भी बकाया बिजली बिल चुकाने के लिए कभी 5 तो कभी 7 करोड़ की कटौती की जाती रही है। जब भी कटौती हुई, तब दो-दो महीने तनख्वाह अटकी है। चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि के रूप में पहले हर महीने निकायों को 324 करोड़ रुपए मिलते थे, लेकिन अगस्त 2019 में यह राशि 244 करोड़ कर दी गई। बाद में और कटौती करके 222 करोड़ कर दिया गया और अब इसे बंद कर दिया गया है।

कर्मचारी संगठन करेंगे विरोध
मप्र ननि-नपा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सोलंकी का कहना है कि प्रदेश में जब 378 नगरीय निकाय थे, तब चुंगी क्षतिपूर्ति राशि 324 करोड़ रुपए प्रतिमाह मिलती थी। नगरीय प्रशासन विभाग ने दो वर्षों में कई नई नगर पालिकाओं का गठन किया और क्षतिपूर्ति राशि 300 करोड़ कर दी गई। उसमें से यांत्रिकी प्रकोष्ठ के नाम पर 1.2 प्रतिशत प्रतिमाह कटौती होती है तथा बिजली बिल की राशि की कटौती करते हुए प्रतिमाह 250 करोड़ रुपए मिलते हैं। चुंगी क्षतिपूर्ति राशि से ही निकायों में कर्मचारियों को तनखाह नहीं मिल रही। इसके बंद होने से कर्मचारियों को तनख्वाह के लाले पड़ जाएंगे। हालात ऐसे बन रहे, तो तनख्वाह के लिए आंदोलन करना पड़ेगा।

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