नुसरत नूर ने रचा इतिहास, JPSC परीक्षा में टॉप करने वाली पहली मुस्लिम महिला बनी देश By Nayan Datt On Dec 20, 2022 हाल ही में जारी झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) के चिकित्सा अधिकारियों की परीक्षा 2022 के परिणाम में पहली रैंक हासिल कर नुसरत नूर ने इतिहास रच दिया। वह पहली मुस्लिम महिला है। जिसे ये सफलता प्राप्त हुई। झारखंड के जमशेदपुर शहर में जन्मी नुसरत की प्रारम्भिक शिक्षा जमशेदपुर के सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल में हुई। उसके बाद 2020 में उन्होने रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस से MBBS की डिग्रीहासिल की। इस दौरान ही उन्होने इंस्टीट्यूट में जूनियर रेजिडेंटशिप के रूप में प्रेक्टिस करना शुरू कर दिया। आज वह न्यूरोलॉजी में विशेषज्ञता के साथ एक चिकित्सक हैं। नुसरत बताती है कि “मैंने कभी नहीं सोचा था कि जेपीएससी एग्जाम में टॉप करूंगी।“ उन्होने अपनी सफलता को मुस्लिम महिलाओं के सश्क्तिकरण के रूप में लिया। वह कहती है कि सरकारी सेवाओं में मुस्लिम महिलाएं न के बराबर है। उन्हे समाज और देश की सेवा के लिए आगे आना चाहिए। उनका कहना है कि मुस्लिम महिलाओं को न केवल उच्च शिक्षा हासिल करनी चाहिए। बल्कि सिविल सेवाओं में भी अपना भाग्य अपनाना चाहिए। आज महिलाओं के पास हर क्षेत्र में अवसर है। उन्हे इन अवसरों का भी लाभ उठाना चाहिए। नुसरत की इंटर्नशिप के दौरान ही शादी हो गई थी। फिर भी उन्होने आगे की शिक्षा को जारी रखा। उनके पति मोहम्मद उमर भी डॉक्टर हैं और बरियातू स्थित आलम अस्पताल में सलाहकार सर्जन के पद पर कार्यरत है। उनका दो साल का एक बेटा भी है। वह ससुराल में एक संयुक्त परिवार में रहती हैं। वह बताती है कि “मेरी इस कामयाबी में कभी शादी बाधा नहीं बनी। मेरे ससुराल वालों ने मेरा हमेशा साथ दिया।“ वह कहती है कि “समय पर शादी करना भी जीवन की एक बड़ी उपलब्धि है। मैंने इस उपलब्धि को भी हासिल किया।“ ससुराल के बारे में वह बताती है कि मेरा 10 से अधिक सदस्यों वाला ससुराल हमेशा मेरी ताकत बनकर उभरा। मेरे लक्ष्य को प्राप्त करने में सभी ने मेरी सहायता की। वह आगे कहती है कि “मेरा परिवार दूसरे परिवारों के लिए एक रोल मॉडल है जो अपनी बहू को घर-गृहस्थी से बाहर उसके सपनों को पूरा करने में विश्वास रखता है।“ अपने पति के बारे में वह बताती है कि मेरे पति एक प्रगतिशील सोच के व्यक्ति है। उन्होने घरेलू कार्यों से लेकर बच्चे की देखभाल तक में मेरी सहायता की। वह आगे कहती है कि आज भी समाज का महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण नकारात्मक है। लेकिन मैं फिर भी अपील करती हूं कि “लोग अपनी बेटियों को जितना हो सके शिक्षित करें, क्योंकि शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है। जो उन्हे आर्थिक रूप से स्वतंत्र और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बना सकता है।“ नुसरत के पिता मोहम्मद नूर आलम टाटा कंपनी में कर्मचारी और उनकी माता सीरत फातमा घरेलू महिला हैं। वहीं उनके भाई मोहम्मद फैसल नूर, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जमशेदपुर में औद्योगिक इंजीनियरिंग में अपना शोध कर रहे हैं। नुसरत ने अब सरकारी अस्पताल में एक चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यभार संभालने के साथ ही पोस्ट-ग्रेजुएशन की तैयारी भी शुरू कर दी है। Share
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