अहमदाबाद। कांग्रेस ने गुजरात में पिछले दो विधानसभा चुनावों में राज्य के उत्तरी क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बेहतर प्रदर्शन किया है जहां से कुल 32 सीटें आती हैं। विपक्षी दल 2022 में भी अपनी बढ़त बनाए रखना चाहेगा और कुछ कारक इसके पक्ष में हैं। इस क्षेत्र में वोट पांच दिसंबर को दूसरे चरण में डाले जाएंगे जब 182 सदस्यीय विधानसभा की शेष 93 सीटों के लिए मतदान होगा। डेयरी सहकारी नेता एवं पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी की गिरफ्तारी के कारण भाजपा को कुछ क्षेत्रों में बगावत का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रमुख अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) चौधरी समुदाय के बीच नाराजगी का अंदेशा है। उन्होंने कहा कि साथ ही स्थानीय जाति समीकरण और उम्मीदवारों का चयन प्रक्रिया के अंतिम परिणाम में एक प्रमुख भूमिका निभाने की संभावना है।
क्षेत्र के छह जिलों: बनासकांठा पाटन मेहसाणा साबरकांठा अरावली और गांधीनगर में फैली 32 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 2012 और 2017 दोनों चुनावों में 17 सीटों पर जीत हासिल की थी। दूसरी ओर भाजपा क्रमशः 2012 और 2017 में 15 और 14 विधानसभा क्षेत्रों में विजयी हुई थी। पिछले चुनाव में एक सीट (सुरक्षित वडगाम) निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवाणी के खाते में गई थी जिन्हें कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था। विपक्षी दल ने इस क्षेत्र में अपने अधिकांश मौजूदा विधायकों पर भरोसा जताया है और उनमें से 11 को फिर से टिकट दिया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने 14 मौजूदा विधायकों में से केवल छह को टिकट दिया और बाकी विधानसभा क्षेत्रों में नए उम्मीदवारों को मौका दिया है। दोनों पार्टियों ने स्थानीय जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर पाटीदार और कोली समुदायों के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आम आदमी पार्टी (आप) के उत्तर गुजरात में बहुत अधिक प्रभाव डालने की संभावना नहीं है। उनका मानना है कि इस क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है। उनका मानना है कि दक्षिण गुजरात के सूरत और सौराष्ट्र क्षेत्र में कुछ सीटों के चुनाव परिणाम में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप संभावित रूप से प्रभाव डाल सकती है।
राजनीतिक विश्लेषक ने कहा ‘‘भाजपा ने 2002 के चुनावों में मध्य और उत्तर गुजरात क्षेत्रों में चुनावी बढ़त हासिल की। हालांकि 2012 तक कांग्रेस उत्तर गुजरात में अपनी खोई जमीन में से काफी कुछ वापस हासिल करने और पांच साल बाद इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब रही। विश्लेषकों और सामाजिक समूह के सदस्यों के अनुसार 800 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के मामले में सहकारी नेता विपुल चौधरी की गिरफ्तारी ने उनके समुदाय के लोगों को नाराज किया है। बनासकांठा जिले और मेहसाणा के कुछ हिस्सों में मतदाताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इस समुदाय से है। दूधसागर डेयरी के पूर्व अध्यक्ष चौधरी पर सहकारी संस्था का अध्यक्ष रहते हुए भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप हैं। पूर्व मंत्री के चुनाव से पहले आप में शामिल होने की अटकलें थीं लेकिन ऐसा नहीं हो सका। दूधसागर डेयरी के पूर्व उपाध्यक्ष एवं अरबुदा सेना से जुड़े मोगाजी चौधरी ने कहा कि सामाजिक समूह के सदस्य अपनी पसंद के अनुसार अपना वोट डालने वाले हैं और उन्हें कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है। मोगाजी चौधरी ने कहा वे मतदान के दौरान उम्मीदवारों और स्थानीय मुद्दों जैसे कारकों पर विचार करने वाले हैं।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.