सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने आदेश में मोरबी पुल के ढहने में मामले में हाई कोर्ट से अनुरोध किया है कि स्वतः संज्ञान लेते हुए नज़र रखने को कहा है ताकि उन्हें पता रहे कि जांच सही दिशा में जा रही है और लापरवाही के दोषी व्यक्तियों पर जवाबदेही तय हो, जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने आदेश में कहा, “यह एक बहुत बड़ी त्रासदी है और इसके लिए एक साप्ताहिक निगरानी की आवश्यकता है ताकि जिस पार्टी को कॉन्ट्रैक्ट मिला और जो दोषी हैं उनकी ज़िम्मेदारी तय करते हुए मामला आगे बढ़े. गुजरात हाईकोर्ट ने खुद ही सुओ मोटो ले लिया है वरना हम ये नोटिस जारी करते. ” सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले पर हाई कोर्ट को नियमित निगरानी रखनी होगी, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट मोरबी हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों की ओर से दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, इस याचिका की पैरवी करने वाले अधिवक्ता विशाल तिवारी की मांग थी कि मामले की जांच एक न्यायिक समिति करे जिसकी निगरानी का काम एक रिटायर्ड जज के हाथों में हो, इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मरने वालों के परिजनों को मुआवज़ा मिले इस पहलू का भी ध्यान रखना होगा, 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी में एक सस्पेंशन ब्रिज के गिरने से 132 लोगों की मौत हो गई थी, इस मामले में ब्रिज बनाने का ठेका ओरेवा ग्रुप को दिया गया था, हादसे के बाद सामने आया कि इसे दोबारा बिना हेल्थ सर्टिफकेट मिले ही आम लोगों के लिए खोला गया था।