बांसवाड़ा: निर्माणाधीन मकान के पहले माले पर मलबे में दबे मजदूर के शव को बाहर निकालती हुई SDRF की टीम।निर्माणाधीन मकान की छत पर एलीवेशन के लिए अलग से बने छज्जे का मलबा बुधवार सुबह मजदूर पर गिर गया। उसकी मौके पर मौत हो गई, जबकि मजदूर के साथ उसका काका भी था, जिसका पैर फ्रैक्चर हुआ है। मजदूर उसके काका के साथ छज्जे की छत के नीचे लगी हुई प्लेट खोल रहा था। तभी हादसा हुआ और साढ़े तीन बाय 20 वर्ग फीट का छज्जा एकदम से नीचे आ गया। हादसे के बाद मृतक के परिजन वहां इकट्ठे हो गए, जो 6 घंटे बाद भी मौताणे को लेकर हंगामा करते रहे। इधर, मौके पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई। शांति बनाए रखने के लिए पुलिस को यहां मशक्कत करनी पड़ी। मामला आनंदपुरी थाने के शेरगढ़ कस्बे का है।निर्माणाधीन मकान की छत पर फंसा हुआ मजदूर का शव।आनंदपुरी थाना प्रभारी CI दिलीपसिंह चारण ने बताया कि शिक्षा विभाग के मोटी टिंबी स्कूल के बाबू सिद्धराज लबाना का यहां शेरगढ़ के बागीदौरा-माेनाडूंगर मार्ग पर मकान बन रहा है। ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर बनने के बाद यहां एलीवेशन के लिए साढ़े 3 बाय 20 फीट करीब की एक छत अलग से डाली गई थी, जो एवरेज छत की ऊंचाई से बहुत नीचे थी। ठेकेदार के कहने पर वेलारी निवासी मणिलाल (45) पुत्र वालजी कटारा एवं धना (48) पुत्र वीरजी कटारा छत खोलने गए थे। वह प्लेट निकाल रहे थे। तभी एलीवेशन वाले छज्जे की छत मणिलाल पर आ गिरी। उसकी मौके पर मौत हो गई, जबकि धना का पैर फ्रैक्चर हुआ।दुर्घटना स्थल पर जमा हुई लोगों की भीड़ और मौजूद पुलिस।SDRF की टीम ने निकाला शवघटना के बाद मजदूर और ठेकेदारों ने छत का मलबा हटाने क कोशिश की। सफल नहीं होने पर पुलिस ने बांसवाड़ा से SDRF की टीम बुलाई। टीम ने जेक लगाकर छत के मलबे को ऊंचा किया। इसके बाद मजदूर को साइड से बाहर निकाला जा सका। इधर, घटना के बाद परिवार के लोग मौके पर पहुंचे, जहां मौताणे को लेकर 30 लाख से शुरुआत हुई। दोपहर तीन बजे बाद मामला 3 लाख पर सुलझता दिखाई दिया, हालांकि सहमति फिर भी नहीं बनी थी। पुलिस मौताणे को लेकर कुछ नहीं बोली, लेकिन पोस्टमार्टम आज ही कराने की जल्दबाजी में दिखी।मौत ही खींच लाई थीजानकारी जुटाने पर पता चला कि मकान का काम करीब 6 महीने से चल रहा है। मृतक मणिलाल के साले ने ही मकान निर्माण का ठेका ले रखा है। लेकिन, अब तक मणिलाल कभी भी मकान के काम पर नहीं आया। मणिलाल, धना और प्रकाश नाम के मजदूरी पहली बार काम पर आए थे। आते ही वह एलीवेशन वाली छत की प्लेटे हटाने गए। तभी हादसा हो गया। मणिलाल के तीन बेटियां और दो बेटे हैं। सबसे बड़ा बेटा 12वीं पास है, जिसकी उम्र 17 साल है। वहीं सबसे छोटे बेटे की उम्र 7 साल है। मणिलाल उसके परिवार में अकेला कमाने वाला था।
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