बलौदाबाजार: मामला नवंबर 2024 का है. पलारी थाना क्षेत्र का मामला है. पीड़िता के पिता ने बताया कि उनकी नाबालिग बेटी को गांव के युवक ने बहला फुसलाकर शादी का झांसा दिया और अपने गांव छेरकापुर ले गया. आरोपी ने उसे लगातार तीन महीने तक बंधक बनाकर रखा और बार-बार उसके साथ दुष्कर्म किया. परिवार ने जब बेटी को ढूंढना शुरू किया, तो पता चला कि वह आरोपी के घर में ही है.
आरोपी के चंगुल से पीड़िता को छुड़ाया: पिता ने हिम्मत दिखाते हुए बालक कल्याण समिति बलौदाबाजार में लिखित शिकायत की. शिकायत के बाद जिला बाल संरक्षण इकाई और थाना पलारी की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए आरोपी के घर से पीड़िता का रेस्क्यू किया.
मामले को समाजिक स्तर पर सुलझाने की भी कोशिश की गई. आरोपी के पिता ने गांव के लोगों के सामने शादी का आश्वासन दिया. लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपना वादा तोड़ दिया और शादी से इंकार कर दिया. जब न्याय की उम्मीद समाज से खत्म हो गई, तब पीड़िता के पिता ने 14 जनवरी 2025 को थाना पलारी में औपचारिक रिपोर्ट दर्ज कराई. जिसके बाद पलारी पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 15 जनवरी को आरोपी को गिरफ्तार किया.
पीड़िता का बयान बना सबूत: रेस्क्यू के बाद पीड़िता ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि आरोपी ने उसे 09 नवंबर 2024 से 07 जनवरी 2025 तक अपने घर में रखा. इस दौरान उसने शादी झांसा देकर बार बार शारीरिक संबंध बनाए.
पुलिस की कार्रवाई और मामला अदालत पहुंचा: थाना पलारी पुलिस ने आरोपी के खिलाफ गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज किया. आरोपी के खिलाफ धारा 137(2), 87, 64(2)(M) BNS और धारा 4(2), 5(ठ)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों के संरक्षण अधिनियम 2012 (POCSO Act) के तहत केस दर्ज किया गया. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और न्यायिक रिमांड पर भेज दिया. विवेचना पूरी होने के बाद अभियोग पत्र (चार्जशीट) विशेष न्यायालय पॉक्सो बलौदाबाजार में प्रस्तुत किया गया.
अभियोजन पक्ष ने पेश किए पुख्ता साक्ष्य: अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक निशा शर्मा ने मामले की पैरवी की. उन्होंने अदालत में 10 साक्ष्यों के बयान कराए. पीड़िता, उसके पिता, पुलिस अधिकारी, बाल कल्याण समिति के सदस्य और डॉक्टर के बयान ने यह साबित कर दिया कि आरोपी ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया गया. आरोपी ने नाबालिग को मानसिक और शारीरिक रूप से शोषित किया.
अदालत ने सुनाया सख्त फैसला: अंतिम सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) बलौदाबाजार, गिर्जेश प्रताप सिंह ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई. साथ ही अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर अतिरिक्त कारावास का आदेश भी दिया. विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि विशेष न्यायाधीश ने टिप्पणी की,”ऐसे अपराधों में समाज के प्रति सख्त संदेश देना जरूरी है. जो लोग नाबालिग बच्चियों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं, उन्हें कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई ऐसा अपराध करने की हिम्मत न करे.”
विशेष लोक अभियोजक निशा शर्मा का बयान: विशेष लोक अभियोजक निशा शर्मा ने बताया कि यह मामला बेहद संवेदनशील था. शुरुआत से ही अभियोजन का मकसद था कि पीड़िता को न्याय मिले और आरोपी को उसकी करतूत की सजा अदालत ने हमारे सभी साक्ष्यों को सही माना और 20 साल की सजा दी है. यह फैसला बालिकाओं की सुरक्षा के लिए एक मजबूत संदेश है.