दिल्ली ब्लास्ट केस: क्या देवेंद्र और अमित भी फंसेंगे? जांच में नाम आने पर क्या कहता है कानून, जानिए पूरी कानूनी प्रक्रिया दिल्ली/NCR By Nayan Datt On Nov 13, 2025 दिल्ली में लाल किले के पास हुए धमाके को लेकर पुलिस कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है. इसमें देवेंद्र और अमित भी शामिल हैं. देवेंद्र वो शख्स है जो आई20 कार का मालिक रह चुका है. देवेंद्र ओखला का रहने वाला है और डेढ़ साल पहले उसने आई20 खरीदी थी. वही आई20 कार जिसमें ब्लास्ट हुआ था और उसमें डॉक्टर उमर सवार था. वहीं, अमित कार डीलर है. पुलिस ने बुधवार को उसे हिरासत में लिया था. यह भी पढ़ें लाल ईको स्पोर्ट्स कार वाला शख्स गिरफ्तार! दिल्ली ब्लास्ट में… Nov 13, 2025 धमाके वाली I20 कार में डॉ. उमर! DNA टेस्ट से पुष्ट हुई खबर,… Nov 13, 2025 दरअसल, पुलिस आई20 कार की पूरी डिटेल खंगाल रही है. पुलिस ये जानना चाह रही है कि वो कार किसके जरिए अमित के पास आई थी. वहीं, उमर कार डीलर के संपर्क में किसके जरिए आया था. सही तरीके से नहीं हुई ट्रांसफर तो… इस पूरे मामले को देखने और सुनने के बाद एक गंभीर प्रश्न उठ खड़ा हुआ है. सवाल ये कि अगर आपकी बेची गई कार बाद में किसी अपराध में इस्तेमाल हो जाए तो क्या आप मुसीबत में पड़ सकते हैं. इसका सीधा जवाब है हां. अगर कार सही तरीके से ट्रांसफर नहीं की गई तो आपको गंभीर कानूनी परेशानी या जांच का सामना करना पड़ सकता है. लाल किले के पास हुए कार विस्फोट से पता चलता है कि एक पुरानी गाड़ी बेचने के लिए कानूनी ज़रूरतें होती हैं, जिसमें आधिकारिक रिकॉर्ड में स्वामित्व और समय पर हस्तांतरण जरूरी है. इस प्रक्रिया को पूरा न करने पर मूल विक्रेता को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और खासकर अगर गाड़ी का इस्तेमाल बाद में किसी अपराध में किया जाता है तो आपराधिक जांच भी हो सकती है. क्या कहता है कानून? लाल किला विस्फोट जैसे मामलों में एजेंसियां सबसे पहले गाड़ी का पता RC में दर्ज नाम से लगाएंगी, जिसमें रजिस्टर्ड लीगल ऑनर का नाम होता है. दिल्ली विस्फोट जैसे अपराध में कार का इस्तेमाल करने वाले पूर्व मालिक की जिम्मेदारी भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत आपराधिक दायित्व और मोटर वाहन अधिनियम (MVA), 1988 द्वारा परिभाषित वैधानिक/सिविल दायित्व के बीच महत्वपूर्ण अंतर के आधार पर निर्धारित की जाती है. हत्या या आतंकवादी कृत्य जैसे गंभीर अपराधों के लिए क्रिमिनल एक्ट यह निर्धारित करता है कि व्यक्ति को उसके आपराधिक कृत्य के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा. पंजीकृत वाहन का मालिक आमतौर पर किसी तीसरे पक्ष द्वारा किए गए गंभीर अपराध के लिए उत्तरदायी नहीं होता है. अभियोजन पक्ष को वाहन के मालिक और अपराध के बीच सीधा संबंध स्थापित करना होगा. मालिक को साबित करनी होती हैं ये चीजें कार के मालिक को यह साबित करना होगा कि उन्हें अपराध या अपराधी के इरादे की कोई पूर्व जानकारी नहीं थी. अगर वाहन मालिक की सहमति के बिना कार बेची या इस्तेमाल की जाती है तो उन्हें आमतौर पर आपराधिक दायित्व से सुरक्षा मिलेगी. जब तक स्वामित्व RTO के रिकॉर्ड में आधिकारिक रूप से स्थानांतरित नहीं हो जाता, तब तक विक्रेता ही मोटर व्हीकल एक्ट (MVA) के अनुसार पंजीकृत कानूनी मालिक बना रहता है. जब कोई वाहन किसी अपराध में शामिल होता है तो अधिकारी सबसे पहले RC पर दिए गए नाम से वाहन का पता लगाते हैं. पुलिस शुरुआत में पंजीकृत मालिक से पूछताछ कर सकती है और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर सकती है. इसके बाद पूर्व मालिक को कानूनी तौर पर जांच में सहयोग करना होगा और यह साबित करना होगा कि वाहन पहले ही बेचा जा चुका था और अपराध के समय उनके कब्जे में नहीं था. Share