हाइवे पर अब नो एंट्री! सुप्रीम कोर्ट ने आवारा पशुओं को तुरंत हटाने का दिया आदेश, एक्सप्रेस-वे पर भी सख्ती
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को देशभर में आवारा कुत्तों के मामले पर सुनवाई हुई. जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने सुनवाई की. सर्वोच्च अदालत ने इस दौरान हाइवे और एक्सप्रेस-वे पर आवारा पशुओं पर रोक लगा दी. कोर्ट ने उन्हें तुरंत हटाने का निर्देश दिया है.
जस्टिस नाथ ने कहा कि आदेश तीन भागों में है. पहला अनुपालन पर है. एमिकस रिपोर्ट की विषय-वस्तु को हमारे आदेश के अभिन्न अंग के रूप में पढ़ा जाएगा. राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अगली सुनवाई से पहले व्यापक हलफनामा दाखिल करेंगे, जिसमें रिपोर्ट में उजागर की गई खामियों को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख होगा. किसी भी तरह की ढिलाई को गंभीरता से लिया जाएगा.
आदेश में क्या कहा गया?
जस्टिस नाथ ने कहा कि दूसरा आदेश राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देशों से संबंधित है. निर्देशों की पुनः पुष्टि इस सीमा तक की जाती है कि सभी राज्यों के नोडल अधिकारी राष्ट्रीय राजमार्गों से आवारा पशुओं को हटाना सुनिश्चित करेंगे. राजमार्गों/सड़कों/एक्सप्रेसवे पर पाए जाने वाले सभी जानवरों, जिनमें मवेशी भी शामिल हैं, को तुरंत हटाने के लिए एक संयुक्त समन्वित अभियान चलाया जाएगा. मवेशियों और अन्य पशुओं को सभी आवश्यक देखभाल प्रदान की जाएगी.
उन्होंने अपने आदेश में कहा कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करेंगे. अन्यथा, अधिकारी व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार होंगे. निर्देशों के पालन के लिए स्थिति की जानकारी 8 सप्ताह में प्रस्तुत की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा तीसरा निर्देश संस्थागत क्षेत्रों से संबंधित है. कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए यह न्यायालय निम्नलिखित निर्देश देना आवश्यक समझता है.
- राज्य सरकारें/केंद्र शासित प्रदेश दो सप्ताह के भीतर जिला अस्पतालों, सार्वजनिक खेल परिसरों, रेलवे स्टेशनों सहित सभी सरकारी संस्थानों की पहचान करें. यह सुनिश्चित करें कि आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए परिसरों को आवश्यकतानुसार पर्याप्त बाड़ लगाकर सुरक्षित किया जाए.
- यह कार्य आठ सप्ताह के भीतर पूरा किया जाना है. संस्थानों के प्रबंधन को क्षेत्र के रखरखाव के लिए जिम्मेदार नोडल अधिकारी को निर्दिष्ट करना होगा
- स्थानीय नगरपालिका प्राधिकरण ऐसे सभी परिसरों का नियमित निरीक्षण करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसे परिसरों में कोई आवारा कुत्ते का निवास स्थान न हो. प्रत्येक आवारा कुत्ते को ऐसे परिसरों से तुरंत हटाया जाए और नसबंदी के बाद आश्रय स्थल में स्थानांतरित किया जाए. आवारा कुत्ते को उस क्षेत्र में नहीं छोड़ा जाए जहां से उसे उठाया गया है. ऐसा करने की अनुमति देने से उद्देश्य ही विफल हो जाएगा.