बाघिन की मौत मामले में कार्रवाई की मांग, राज्यपाल को नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने लिखा पत्र, कहा- जंगल सफारी के कुप्रबंधन का नतीजा

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने बाघिन की मौत के मामले में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल को पत्र लिखा है. पत्र में बाघिन की मौत की जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की गई है. लिखा गया है कि, एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल सफारी में बेजुबान वन्यजीवों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है. समय पर सही इलाज नहीं मिलने के कारण जंगल सफारी की एक युवा बाघिन ‘बिजली’ की हाल ही में अकाल मृत्यु हो गई. यह प्रदेश के लिए अपूर्णनीय क्षति है.

क्या है मामला: बिजली नामक इस बाघिन ने फरवरी 2025 में दो शावकों को जन्म दिया था. जिसमें से एक शावक मृत पैदा हुआ और दूसरा शावक बहुत कमजोर था जिसके कारण कुछ दिनों बाद उसकी भी मृत्यु हो गई. बाघिन जब गर्भवती थी तभी से वह अस्वस्थ रहने लगी थी. आरोप है कि, मुख्य वाइल्ड लाइफ वार्डन और जंगल सफारी के संचालक की ओर से सही इलाज नहीं हुआ है. शावकों के जन्म के बाद बाघिन का स्वास्थ्य अधिक खराब हुआ, तब भी अधिकारियों ने इसे गंभीरतापूर्वक नहीं लिया. जब बाघिन ने खाना-पीना छोड़ दिया तब उसे ट्रेन से गुजरात के जामनगर में स्थित वनतारा रिसर्च इंस्टिट्यूट में इलाज के लिए भेजा गया जहां उसने दम तोड़ दिया.

tigress death case

गलत इलाज करने का जिक्र: चरणदास महंत ने पत्र में लिखा है कि, जंगल सफारी के डॉक्टर बाघिन की बीमारी को जान ही नहीं पाए और गलत इलाज करते रहे. ये बात खुद वनतारा रिसर्च इंस्टिट्यूट के चिकित्सकों ने बताई है. अगर बाघिन को पहले ही वनतारा भेज दिया गया होता तो वह आज जिंदा होती. वहीं पत्र के मुताबिक, जंगल सफारी के डॉक्टर का यह कहना है कि वहां सोनोग्राफी मशीन तो है लेकिन उसे ऑपरेट करने वाला तकनीशियन नहीं है. इसके कारण समय पर जांच नहीं की जा सकी और बाघिन की बीमारी का पता नहीं चला.

जंगल सफारी में कुप्रबंधन के कारण अकाल मृत्यु की यह कोई पहली घटना नहीं है. जब से प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी है तब से अनेक लुप्तप्राय वनप्राणियों की भी अकाल मृत्यु समय पर सही इलाज के अभाव में हो चुकी है. जंगल सफारी के कुप्रबंधन को दूर करने में वन विभाग असफल है. ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार अफसरों पर एक्शन नहीं होने से घटनाओं की पुनरावृत्ति हो रही है– नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत

18 पद रिक्त क्यों?: डॉ. महंत ने कहा कि वन्यजीवों के स्वास्थ्य के देख-रेख करने और Fलाज करने के लिए चिकित्सकों के 20 पद स्वीकृत है, लेकिन इसमें से 18 पद लंबे समय से खाली हैं. विधानसभा में वन्यजीवों की अकाल मृत्यु के विषय कई बार विपक्ष ने उठाए हैं. प्रमुख चिकित्सक की घोर लापरवाही प्रमाणित होने पर उसे जंगल सफारी से हटाने तक के निर्देश आसंदी से दिये गये थे.

महंत ने कहा कि, ऐसा लग रहा है कि, वन मंत्री जी ही नहीं चाहते हैं कि व्यवस्था में सुधार हो. बाघिन की अकाल मौत के लिए स्पष्ट रूप से चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन, डायरेक्टर जंगल सफारी और चिकित्सक तीनों जिम्मेदार हैं. इन तीनों ही अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए या काम से हटाया जाए. इसके साथ ही इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो. जंगल सफारी में व्याप्त कुप्रबंधन को दूर करने और पशु चिकित्सकों के रिक्त पदों को भरने के लिए वन विभाग को निर्देशित किया जाए.

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