प्रशांत किशोर की दोहरी रणनीति: हिंदू चेहरा पेश करके भी क्यों मुस्लिम वोटों पर निशाना साधने की बात? भागलपुर चुनाव में नया विवाद बिहार By Nayan Datt On Oct 14, 2025 बिहार के चुनावों में सियासी रोमांच बढ़ता जा रहा है. जहां गठबंधनों में सीट बंटवारे को लेकर गहमागहमी जारी है, वहीं नेताओं का दल बदलना भी समीकरणों पर असर डाल रहा है. वहीं जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट का ऐलान कर दिया है. बिहार की जनता को नया विकल्प देने का दावा करने वाले प्रशांत की इस लिस्ट में 7 वकील, 9 डॉक्टर्स और 4 इंजीनियर शामिल हैं. यह भी पढ़ें इंडिया गठबंधन में ‘शायरी युद्ध’! सीट बंटवारे की… Oct 14, 2025 NDA में फूट की आहट! नीतीश कुमार सीट शेयरिंग से नाराज, डिप्टी… Oct 14, 2025 दूसरी लिस्ट के 65 उम्मीदवारों में से भागलपुर से वकील अभयकांत झा के टिकट ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि अभयकांत झा के टिकट के जरिए प्रशांत किशोर मुस्लिम समाज को साधना चाहते हैं और बताना चाहते हैं कि मुस्लिम समाज के इंसाफ की बात करना उनके भाषणों तक सीमित नहीं है. कौन हैं अभयकांत झा? भागलपुर से जनसुराज के उम्मीदवार बने अभयकांत झा ने 1989 के भागलपुर दंगा पीड़ितों का केस मुफ्त में लड़ा था. अभयकांत झा की पहचान एक न्यायप्रिय, निष्पक्ष और सामाजिक कार्यों में सक्रिय व्यक्ति के रूप में रही है. उन्होंने दंगा के बाद मुस्लिम पक्ष के 880 लोगों की मदद की थी. 74 साल अभयकांत झा भागलपुर सिविल कोर्ट के सीनियर एडवोकेट हैं और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. जन सुराज पार्टी में वे जिले के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर के रूप में काम कर रहे थे और अब उन्हें पार्टी ने पहली बार विधानसभा चुनाव का टिकट दिया है. न्याय के प्रति उनकी निष्ठा और संवेदनशीलता ने उन्हें शहर का सम्मानित चेहरा बना दिया. ब्राह्मण समाज से आने वाले अभयकांत झा हमेशा से जनहित के मुद्दों में आगे रहे हैं. वे शिक्षा, समाज सेवा और कानूनी सहायता के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं. स्थानीय लोगों के बीच उनकी छवि एक ईमानदार, सुलझे हुए और जनता से जुड़े व्यक्ति की रही है. भागलपुर दंगा बिहार का सबसे भयावह साम्प्रदायिक संघर्ष बता दें, 24 अक्टूबर 1989 को भागलपुर में विश्व हिंदू परिषद की राम शिला पूजन यात्रा निकाली गई थी. इसमें हजारों हिंदू शामिल हुए, उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस भी थी. इस जुलूस में भड़काऊ नारेबाजी होने लगी. जिसमें “जय मां काली ततारपुर खाली, अपमान का बदला लेंगे बाबर की संतान से, बच्चा-बच्चा राम का बाकी सब हराम का , हिंदू हिंदी हिंदुस्तान मुसलमान जाओ पाकिस्तान.” जैसे नारे लगे. जब ये यात्रा तातारपुर इलाके से गुजर रही थी, तभी इसमें दंगा शुरू हो गया. भगदड़ मची, दुकानों में तोड़फोड़ की गई. इसी दौरान पुलिस ने फायरिंग कर दी जिसमें तीन लोग मारे गए, कई जख्मी हुए, कुछ पुलिस वालों को भी चोट लगी. करीब 4 घंटे बाद किसी ने कहा कि मुसलमानों ने सैकड़ों हिंदुओं को मार के कुए में डाल दिया है. जिसके बाद ये अफवाह पूरे इलाके में फैल गई और लोग बिना वेरीफाई किए ही बदला लेने निकल पड़े. भागलपुर और उसके आस-पास के गांवों में मार काट मच गई, घरों को जलाए गया, दंगा के बाद हजारों लोगों को पलायन करना पड़ा. वहीं दंगे में 116 मुसलमान को मारकर दफनाया गया था और ऊपर से गोभी रोप दी गई थी. पहले किस पार्टी का रहा है दबदबा? भागलपुर से इस समय कांग्रेस के अजीत शर्मा विधायक हैं. वहीं JDU अजय कुमार मंडल दूसरे नंबर पर रहे थे. यहां थोड़े से ही वोट इधर-उधर होने से खेला हो सकता है. चानक्य के मुताबिक इस सीट पर 26 फीसद मुसलमान है. प्रशांत अभयकांत झा के जरिए मुसलमानों और ब्राह्मणों को साध रहे हैं. Share