20 साल से नदी तैरकर जाते हैं स्कूल, 1994 से नहीं ली है एक भी छुट्टी… कहानी एक मैथ टीचर के जज्बे की देश By Nayan Datt On Sep 4, 2025 केरल में एक शिक्षक हर रोज अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए कदलुंदी नदी तैरकर पार करते हैं. वो दो दशक से भी ज्यादा समय से ऐसा कर रहे हैं. नदी तैरकर पार करके स्कूल पहुंचने वाले शिक्षक का नाम अब्दुल मलिक है. अब्दुल मलिक मलप्पुरम जिले के पदिन्जत्तुमुरी गांव के रहने वाले गणित के शिक्षक हैं. वो मलप्पुरम के मुस्लिम लोअर प्राइमरी स्कूल में नदी तैरकर पार करके पहुंचते हैं. नदी तैरकर पार करने से अब्दुल मलिक को 12 किलोमीटर का सड़क सफर करने की जरूरत नहीं पड़ती. शिक्षा के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें पूरे देश में एक प्रेरणा बना दिया है. वो अपनी किताबों और कपड़ों को प्लास्टिक बैग में रखकर प्रतिदिन तैरकर नदी पार करते हैं. फिर स्कूल पहुंचते हैं. मलिक पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि वो नदी सफाई अभियान का नेतृत्व भी करते हैं. यह भी पढ़ें पीएम मोदी का मणिपुर दौरा होगा या नहीं? ये है लेटेस्ट अपडेट Sep 4, 2025 आंध्र प्रदेश: जिनके पति नहीं हैं, उन महिलाओं का कत्ल! एक और… Sep 4, 2025 साल 1994 से नहीं ली है एक भी छुट्टी मलिक अपने छात्रों को भी प्रकृति का सम्मान करना सिखाते हैं. साल 1994 से, अब्दुल मलिक ने एक दिन भी छुट्टी नहीं ली है. उन्होंने कई बसों में तीन घंटे और 12 किलोमीटर का सड़क सफर तय करने के बजाय, कडालुंडी नदी तैरकर पार करना चुना है. हर सुबह, वह अपनी किताबें, दोपहर का खाना और कपड़े एक प्लास्टिक बैग में भरकर, उसे टायर की ट्यूब से बांधकर कर रख देते हैंं. फिर नदी को तैरकर पार करते हैं. इतना ही नहीं मानसून में भी वो नदी को तैरकर पार करते हैं. फिर स्कूल पहुंचते हैं. मलिक ने एक साक्षात्कार में कहा था, ” बस से स्कूल पहुंचने में समय ज्यादा लगता है. बसों का समय भी निश्चित नहीं है. ऐसे में परिवहन पर निर्भर रहने से बेहतर है कि तैरकर जाएं. उनको रोजाना नदी तैरकर पार करने में लगभग 15-30 मिनट लगते हैं. 20 सालों से भी ज्यादा समय से वो एक भी दिन स्कूल जाने से नहीं चूके.” छात्र प्यार से कहते हैं “ट्यूब मास्टर” छात्र उन्हें प्यार से “ट्यूब मास्टर” कहते हैं. मलिक की प्रतिबद्धता पढ़ाई से कहीं आगे तक है. मलिक अपने छात्रों के साथ नियमित रूप से कडालुंडी नदी में सफाई अभियान चलाते हैं. छात्रों के साथ मिलकर वो नदी से प्लास्टिक कचरा और मलबा इकट्ठा करते हैं, जिससे प्रकृति के प्रति भी उनका प्रेम और जिम्मेदारी नजर आती है. मलिक पांचवीं कक्षा से ऊपर के छात्रों को तैराकी भी सिखाते हैं. स्थानीय शिक्षा अधिकारियों ने मलिक के प्रयासों की प्रशंसा की है. शिक्षा अधिकारी एस. राजीव ने कहा, “मलिक सर न केवल शिक्षण के प्रति अपने समर्पण के लिए, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी सक्रियता के लिए भी एक आदर्श हैं. वे छात्रों और शिक्षकों, दोनों को समान रूप से प्रेरित करते हैं. ” बता दें कि सोशल मीडिया और अन्य समाचार माध्यमों ने हाल ही में लोगों की रुचि अब्दुल मलिक की कहानी में जगाई है. Share