घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग: 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम ज्योतिर्लिंग…जहां दर्शन से मिलता है संतान सुख! धार्मिक By Nayan Datt On Jul 12, 2025 ये घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का एक स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इस ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि संतान की कामना कर रहे जोड़ों के लिए यह वरदान से कम नहीं है. यहां निसंतानों को भोलेनाथ संतान का आशीर्वाद देते हैं. इसी कामना से इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. दूर दराज से लोग अपनी सूनी गोद लेकर यहां आते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनकी गोद बहुत जल्दी भर जाएगी. यह भी पढ़ें सावन में शिव पर अर्पित कीजिए यह 10 चीजें, मिलेगा मनचाहा… Jul 11, 2025 गुरु पूर्णिमा आज, यहां देखें स्नान-दान का समय और पूजा विधि Jul 10, 2025 घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग से भगवान शिव के कई चमत्कारी कहानी जुड़ी हुई है. उसी में से एक है की शिव भगवान ने यहां एक भक्त के पुत्र को जीवित कर दिया था तभी से यहां संतान की कामना की जाती है. कहां स्थित है यह ज्योतिर्लिंग ? भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद के बरेल गांव में स्थित है इस मंदिर को घुश्मेश्वर महादेव के नाम से भी लोग जानते हैं. ये नाम एक भक्त के नाम प्रसिद्ध हुआ है. ये मंदिर महाराष्ट्र के अजंता अलोरा की गुफाओं के कुछ ही दूर पर यह मंदिर स्थित है. इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि सुधर्मा नाम का एक ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ देवगिरी पर्वत पर रहता था. उसके कोई संतान नहीं हुई थी. ज्योतिष से पता चला कि सुदेहा गर्भवती नहीं हो सकती इसलिए सुदेहा ने अपने पति की अपनी छोटी बहन घुश्मा से शादी करवा दी. घुश्मा शिव की अनन्य भक्त थी. वो प्रत्येक दिन शिव के 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करती थी. कुछ दिन पश्चात घुश्मा को एक सुंदर बालक की प्राप्ति हुई. कुछ दिनों बाद सुदेहा को घुश्मा से जलन होने लगी और उसने एक दिन उसके बालक को तालाब में फेंक दिया. इसी तालाब में घुश्मा रोज पार्थिव शिवलिंगों को विसर्जित किया करती थी. सुबह हुई तो बालक की मृत्यु की खबर फैली, सब शोकाकुल हो गए लेकिन घुश्मा भगवान शिव की भक्ति करती रही जैसे कुछ हुआ ही ना हो और रोज की तरह शिवलिंग को विसर्जित करने तालाब पहुंची. जैसे ही उसने शिवलिंग का विसर्जन किया महादेव प्रकट हो गए और उसके पुत्र को पुनर्जीवित कर दिया. महादेव सुदेहा पर क्रोधित हो गए और त्रिशूल उठा लिया लेकिन तब तभी घुश्मा ने कहा कि उसकी बहन को माफ कर दें. महादेव इस बात से अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा की घुश्मा कोई वर मांगो. भक्त घुश्मा ने कहा कि महादेव आप जगत कल्याण के लिए यही निवास करें. तब से घुश्मा के नाम पर ही यह ज्योतिर्लिंग घुश्मेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हो गया. माना जाता है कि यहां आराधना करने वालों को आज भी संतान की प्राप्ति होती है. इस मंदिर में आज भी मौजूद है वह सरोवर माना जाता है कि जहां घुश्मा ने सभी शिवलिंगों का विसर्जन किया था वह सरोवर आज भी यहां जीवित है. इसके दर्शन मात्र से संतान दंपतियों को संतान का सुख मिलता है और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. Share