भारत उन शुरुआती देशों में शामिल है, जिन्होंने कॉमन रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड (CRS) को अपनाया है और 2018 से ही अन्य देशों से वित्तीय डेटा प्राप्त कर रहा है. अब तक, 125 से अधिक देश ऑटोमैटिक तरीके से वित्तीय जानकारी साझा कर रहे हैं, जिसमें विदेशी खातों, बैलेंस, ब्याज, लाभांश और सकल भुगतान जैसी जानकारियां शामिल हैं. इसी तरह, अमेरिका के साथ फॉरेन अकाउंट्स टैक्स कंप्लायंस एक्ट (FATCA), 2010 के तहत भी भारत को नियमित रूप से जानकारी मिलती है.
सितंबर 2024 में, भारत को 108 से अधिक देशों से वित्तीय डेटा प्राप्त हुआ, जिसमें विदेशी खातों पर ब्याज और लाभांश की जानकारी शामिल थी. इस डेटा के आधार पर, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 17 नवंबर 2024 को करदाताओं के लिए अनुपालन और जागरूकता अभियान शुरू किया. इस अभियान का उद्देश्य विदेशी संपत्तियों और आय को सही ढंग से आयकर रिटर्न (ITR) में दर्ज करने के लिए करदाताओं को प्रोत्साहित करना था.
करदाताओं को मिली सुविधा
CBDT ने करदाताओं की सहायता के लिए शेड्यूल फॉरेन एसेट्स (Schedule FA) और शेड्यूल फॉरेन सोर्स इनकम (Schedule FSI) भरने के लिए गाइडलाइन और स्पष्टीकरण जारी किए. साथ ही, विभाग ने 19,501 करदाताओं को एसएमएस और ईमेल भेजकर विदेशी खातों और आय को सही ढंग से रिपोर्ट करने के लिए अपने ITR को संशोधित करने की सलाह दी.
इसके अलावा, 30 से अधिक सेमिनार, वेबिनार और आउटरीच सत्रों के माध्यम से 8,500 से अधिक करदाताओं को सीधे जोड़ा गया. सोशल मीडिया पर “टॉक शो” के जरिए भी व्यापक जागरूकता फैलाई गई.
विदेशी संपत्ति का खुलासा
इस पहल के चलते, 24,678 करदाताओं ने अपने ITR की समीक्षा की, जबकि 5,483 करदाताओं ने विलंबित रिटर्न दाखिल किया, जिसमें ₹29,208 करोड़ की विदेशी संपत्ति और ₹1,089.88 करोड़ की अतिरिक्त विदेशी आय घोषित की गई. साथ ही, 6,734 करदाताओं ने अपनी निवासी स्थिति को “निवासी” से “अनिवासी” में बदला.
इस जागरूकता अभियान का असर यह रहा कि जिन करदाताओं को नोटिफिकेशन भेजा गया था, उनमें से 62% करदाताओं ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और अपनी विदेशी संपत्तियों तथा आय को स्वेच्छा से घोषित किया. स्वैच्छिक खुलासों की संख्या AY 2021-22 में 60,000 करदाताओं से बढ़कर AY 2024-25 में 2,31,452 करदाताओं तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 45.17% अधिक है.
ट्रस्ट फर्स्ट का नतीजा
CBDT का यह अभियान “ट्रस्ट फर्स्ट” (Trust First) दृष्टिकोण पर आधारित था, जिसमें करदाताओं को स्वेच्छा से अनुपालन करने का अवसर दिया गया, बजाय कि उन पर जबरन प्रवर्तन उपाय लागू किए जाएं. इस रणनीति से भारत की कर अनुपालन प्रणाली को मजबूती मिली है और करदाताओं के लिए पारदर्शी और सहयोगी माहौल तैयार किया गया है, जिससे वे औपचारिक जांच-पड़ताल से पहले ही अपनी फाइलिंग में सुधार कर सकें.
यह पहल न केवल करदाताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने में सफल रही, बल्कि इससे भारत की कर प्रणाली में निष्पक्षता और जिम्मेदार वित्तीय खुलासों को भी बढ़ावा मिला.
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