घर की महिलाओं के गहने बेचे, फिर खरीदी 70 नावें… महाकुंभ में 30 करोड़ कमाने वाले ‘निषाद राज’ की सफलता की कहानी
प्रयागराज महाकुंभ में 45 दिनों तक नाव चलाकर 30 करोड़ की कमाई करने वाले प्रयागराज के नाविक पिंटू महरा की कामयाबी की कहानी हैरान करने वाली है. प्रयागराज में त्रिवेणी के किनारे स्थित गांव अरैल के रहने वाले इस नाविक के विजन ने पूरे परिवार की जिंदगी बदल दी. नाव खरीदने के लिए घर की महिलाओं के गहने बेच दिए, घर तक गिरवी रखने की नौबत आ गई, लेकिन जब महाकुंभ खत्म हुआ तो पिंटू करोड़ पतियों की कतार में शामिल हो गया. सीएम योगी ने विधानसभा में खुद उसकी सक्सेस स्टोरी को सबके सामने रखा.
प्रयागराज महाकुंभ के समापन के बाद इस महाकुंभ की उपलब्धियों की चर्चा आम हो रही है. विधानसभा के बजट सत्र में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की जिस सक्सेस स्टोरी को सदन के सामने रखकर सबको हैरत में डाल दिया, उस किरदार का नाम है पिंटू महरा. प्रयागराज के एरियल इलाके के नाव चलाने वाले 40 साल के पिंटू महरा का कहना है कि उसने महाकुंभ के पहले अपने पूरे परिवार के लिए 70 नावे खरीद डाली, जिसके लिए उसे घर की महिलाओं के जेवर बेचने पड़े, जमीन गिरवी रखने की नौबत आ गई, लेकिन जब महाकुंभ खत्म हुआ तो किस्मत बदल गई.
घर की महिलाओं से हुआ विवाद, फिर भी नहीं बदला इरादा
पिंटू बताते हैं कि उनके यहां नाव चलाने का पुस्तैनी है. पिछले अर्धकुंभ में उन्होंने भीड़ की जो स्थिति देखी, उससे उन्हें अंदाजा हो गया था कि इस बार बहुत भीड़ आने वाली है. इसलिए उन्होंने अपने परिवार का सब कुछ दांव पर लगाकर 70 नाव खरीदी, जिससे उनके पास अब 130 नाव हो गई. उनके परिवार में सौ से अधिक लोग हैं. इसके लिए उन्हें घर की महिलाओं ने भी मना किया. उनकी मां भी उनसे नाराज हो गईं, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी. उनकी मां शकुंतला देवी कामयाबी को याद कर रो पड़ती हैं. उनका कहना है कि घर में बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसे तक नहीं बचे थे. अब बच्चे पढ़ेंगे.
परिवार के दामन में लगे अपराध के दाग धुल गए!
सीएम योगी ने विधानसभा के बजट सत्र में इसी पिंटू महरा के परिवार का जिक्र किया था. उन्होंने सदन में बताया था कि प्रयागराज महाकुंभ मेला के दौरान एक नाविक परिवार ने 30 करोड़ रुपये कमाए हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि इस नाविक परिवार के पास 130 नौकाएं थीं. 45 दिनों की अवधि में इन लोगों ने शुद्ध 30 करोड़ रुपए की बचत की है.
पिंटू महरा भी प्रयागराज का हिस्ट्रीशीटर
इस कहानी के केंद्र में है अरैल घाट पर नाविकों का टेंडर लेने वाला वह महरा परिवार, जिसके मुखिया बच्चा महरा का इलाके में दबदबा होता था. स्थानीय दबंग पप्पू गंजिया के साथ उसकी अदावत जग जाहिर थी. जेल में बच्चा महरा की मौत के बाद उसके बेटे पिंटू महरा ने जिम्मेदारी संभाली. उसने अपराध की जगह नाव के धंधे पर फोकस किया. संयोग ऐसा कि महाकुंभ आ गया और फिर उसके परिवार की किस्मत बदल गई. हालांकि पिंटू भी हिस्ट्रीशीटर है.
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