महाराष्ट्र के नासिक शहर में अब आवारा कुत्तों के बाद बिल्लियों की नसबंदी का अभियान शुरू किया जा रहा है. नगर निगम के पशुपालन विभाग ने राज्य मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर यह कदम उठाया है. इस अभियान का उद्देश्य आवारा बिल्लियों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण पाना है, जिससे शहर में होने वाली समस्याओं का समाधान किया जा सके.
नासिक नगर निगम ने इस कार्य के लिए बजट में 10 लाख रुपये का प्रावधान किया है. अप्रैल माह में एक संस्था को नियुक्त किया जाएगा, जो बिल्लियों को पकड़कर उनकी नसबंदी करेगी. प्रत्येक बिल्ली की नसबंदी पर 1650 रुपये खर्च होंगे. पहले चरण में 606 बिल्लियों की नसबंदी करने का लक्ष्य रखा गया है. इस अभियान के माध्यम से आवारा बिल्लियों की संख्या में कमी लाई जा सकेगी, जिससे शहर में इन जानवरों से होने वाली समस्याएं, जैसे कि बीमारी फैलना, सड़क पर अनावश्यक शोर, और अन्य परेशानियां कम हो सकेंगी.
बिल्लियों की नसबंदी ज्यादा मुश्किल
कुत्तों के मुकाबले बिल्लियों को पकड़ना ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि बिल्लियां काफी चपल और सतर्क होती हैं. इसलिए एक विशेषज्ञ संगठन को नियुक्त किया जाएगा, जो जाल बिछाकर बिल्लियों को पकड़ेगा. यह प्रक्रिया धीरे-धीरे और सावधानी से की जाएगी ताकि बिल्लियों को कोई नुकसान न हो.
नसबंदी के बाद बिल्लियों को उसी स्थान पर छोड़ दिया जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था. यह कदम न केवल बिल्लियों की संख्या पर नियंत्रण रखने के लिए लिया गया है, बल्कि यह समाज में संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेगा और इन जानवरों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करेगा.
अभियान में एक लाख से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी
यह अभियान 2007 से चल रहे आवारा कुत्तों की नसबंदी अभियान का एक हिस्सा है. अब तक इस अभियान के तहत एक लाख से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है. इस पहल से कुत्तों और बिल्लियों की संख्या में वृद्धि को रोका जा सकता है, जिससे सड़क पर इन जानवरों की संख्या कम होगी और इससे मानव-जानवरों के बीच बेहतर तालमेल बनेगा.
सकारात्मक दिशा में नगर निगम का कदम
नासिक नगर निगम का यह कदम शहर को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने में सहायक होगा. नसबंदी अभियान से न केवल जानवरों की संख्या में कमी आएगी, बल्कि यह समाज में पालतू और आवारा जानवरों के लिए एक बेहतर वातावरण भी तैयार करेगा.
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