महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद अब नगर निकाय चुनाव की सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शहरी निकाय चुनाव को लेकर संकेत दिए हैं. दो दिन पहले नागपुर में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए फडणवीस ने कहा कि बीजेपी ने स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. उधर, महाविकास अघाड़ी के साथ मिलकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाली उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) निकाय चुनाव में अपनी अलग सियासी राह पकड़ रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि ठाकरे परिवार क्या बीएमसी चुनाव में अपने सियासी वजूद को बचाए रखने के लिए एकजुट होगा?
महाराष्ट्र में करीब तीन साल से स्थानीय निकाय चुनाव नहीं हो पाए हैं. सुप्रीम कोर्ट में निकाय चुनाव का मामला विचाराधीन है लेकिन सभी दलों की नजर 22 जनवरी को अदालत में होने वाली सुनवाई पर है. इसी बीच सीएम फडणवीस ने कहा कि हो सकता है इस मामले की सुनवाई 4 जनवरी को हो जाए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अगले तीन महीने में स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की सरकार की कोशिश रहेगी. ऐसे में साफ है कि निकाय चुनाव का सियासी तानाबाना बुना जाने लगा है.
राज ठाकरे से हाथ मिलाएंगे उद्धव?
महाराष्ट्र की सत्ता अपने नाम करने के बाद अब बीजेपी की नजर मुंबई में अपना सियासी दबदबा बनाने की है. बीएमसी पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) का प्रभाव है, जिसे कमजोर करने की नहीं बल्कि अपने नाम करने की कवायद फडणवीस कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव नतीजे से महाराष्ट्र के सियासी पूरी तरह से समीकरण बदल गए हैं और उद्धव ठाकरे के लिए अपने आखिरी किले बीएमसी को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है. इसीलिए संजय राउत ने कहा कि बीएमसी का चुनाव शिवसेना (यूबीटी) महाविकास अघाड़ी के साथ नहीं लड़ेगी.
उद्धव ठाकरे की शिवसेना अगर बीएमसपी का चुनाव कांग्रेस और शरद पवार के साथ नहीं लड़ेगी तो फिर क्या अकेले किस्मत आजमाएगी या फिर राज ठाकरे से हाथ मिलाएगी? यह बात इसीलिए कही जा रही है कि विधानसभा चुनाव के बाद से महाराष्ट्र में ‘ब्रांड ठाकरे’ के सियासी अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगे हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव की अगुवाई वाली शिवसेना और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का खराब प्रदर्शन रहा है. ऐसे में अगर दोनों भाई मतभेद भुलाकर साथ आते हैं तो निकाय चुनाव काफी दिलचस्प हो जाएगा.
ठाकरे परिवार की दो मुलाकातें
पिछले एक सप्ताह में ठाकरे परिवार के बीच दो मुलाकातें हो चुकी हैं. पहला मौका था उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे के भाई श्रीधर माधव पाटनकर के बेटे की शादी का और दूसरा मौका राज ठाकरे के भांजे की शादी का. रश्मि ठाकरे के भाई पाटनकर के बेटे की शादी में उद्धव ठाकरे से लेकर राज ठाकरे और आदित्य ठाकरे तक शामिल हुए थे. इसके बाद रविवार को राज ठाकरे की सगी बहन जैजयवंती देशपांडे के बेटे यश की शादी में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ दिखाई दिए. राज-उद्धव दोनों एक साथ खड़े होकर नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देते हुए दिखाई दिए.
उद्धव-राज ठाकरे क्या आएंगे साथ?
विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी का खाता तक नहीं खुला. इतना ही नहीं राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे अपना पहला ही चुनाव हार गए हैं. दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे को भी सियासी मात खानी पड़ी है. शिवसेना के सियासी वारिस बनकर एकनाथ शिंदे उभरे हैं. उद्धव ठाकरे से शिवसेना की असली और नकली की लड़ाई में शिंदे भारी पड़े हैं. शिवसेना को पिछले 40 साल में सबसे करारी मात खानी पड़ी है. इस तरह से आगामी चुनाव मुंबई महानगरपालिका के चुनाव में ‘ब्रांड ठाकरे’ को बचाने रखने की चुनौती है. ऐसे में बड़ा सवाल है, क्या उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आएंगे?
हालांकि, संजय राउत ने कहा कि बीजेपी केवल राज ठाकरे को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने इसे उद्धव ठाकरे की पार्टी को कमजोर करने की साजिश करार दिया. विश्लेषकों का मानना है कि बीएमसी चुनावों में बड़ा प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि बीएमसी पर अभी भी उद्धव ठाकरे की मजबूत पकड़ है लेकिन बीजेपी के सत्ता में आने के बाद समीकरण बदल गए हैं. इसीलिए माना जा रहा है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे अपने सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक साथ आएंगे.
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