खंडवा में अजब गजब मामला देखने को मिला,अमूमन लड़का घोड़ी चढ़कर लड़की बालों के यहां पहुंचता है लेकिन खंडवा में अनोखा नजारा
देखने को मिला जहां खंडवा के समीप 8 किलोमीटर दूर सुरगाव जोशी गांव के किसान नानाजी चौधरी ने अपनी बेटी को घोड़ी पर चढ़ाया उन्होंने अपनी बेटी को बेटा समझ कर विदा किया। उनकी लड़की की शादी में उन्होंने अपना अरमान पूरा किया और कार्यक्रम स्थल तक लड़की वाले नाचते गाते पहुंचे ,इसे देखने कई गांव वाले पहुंचे थे। क्योंकि प्रथा यह है कि बेटा ही घोड़ी चढ़ता है लेकिन पिता ने बेटी ओर अपना सपना पूरा किया।
बता दें की हर पिता का एक अरमान होता है की उसकी बेटी को वह धूम धाम से विदा करे। ताकि लोग हमेशा उसे याद रखें, कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला खंडवा जिले के ग्राम सुरगाव जोशी में जहां एक पिता ने अपनी बेटी को घोड़ी पर बैठाकर बेटे की तरह बेटी को सम्मान दिया है, दुल्हन भाग्यश्री चौधरी के पिता नानाजी चौधरी का सपना था की वह अपनी बेटी को शान से विदा करें, और इसीलिए एक पिता ने अपनी बेटी को घोड़ी चढ़ाकर सपना पूरा किया ,भाग्यश्री चौधरी की शादी खंडवा के अजय जिराती के साथ हुई है जोकि निजी बैंक में कार्यरत है।
परिवार ने कहा बेटा बेटी हमारे लिए एक ही समान है बेटी
अकसर समाज में कई जगहों पर देखा जाता है की बेटी के साथ शादी में भेदभाव किया जाता है, और बेटे की शादी में खूब पैसा उड़ाया जाता है, लेकिन बदलते समय के साथ – साथ अब ग्रामीण क्षेत्र में भी लोगों की सोच बदलती जा रही है,और इसी का नतीजा है की आए दिन ऐसी खबरें सुनने और देखने को मिलती हैं। जहां एक बेटी को भी बेटे की तरह घोड़ी चढ़ाया जाता है।
समाज में एक अच्छा संदेश दिया
दुल्हन के भाई रविंद चौधरी ने बताया की हमारे समाज में दुल्हन को घोड़ी नहीं चढ़ाया जाता सिर्फ दूल्हे ही घोड़ी चढ़ते हैं, लेकिन हम लोगों ने एक बेटे की तरह बेटी को पाला है, वह हमारे परिवार की लाड़ली थी। उसकी भी इच्छा थी की एक लड़के की तरह वह भी घोड़ी पर बैठकर जाए, उसकी इच्छाएं पूरी करने के लिए हमने सब कुछ किया, हालांकि कई जगह ऐसा नहीं होता है। लेकिन जहां एक बेटी को बेटे की तरह देखा जाता है वहां पर कर बेटी को घोड़ी पर बैठाकर ही विदा किया जाता है, जिस तरह से हमने बेटी को घोड़ी पर बैठाकर विदा किया। उसमें ग्रामीणों का भी भरपूर सहयोग मिला, हम यही कहना चाहेंगे कि लड़का लड़की दोनों एक ही होते हैं और समाज में सोच बदलनी होगी ,रविन्द्र एक निजी बैंक में क्रेडिट मैनेजर हैं। उनकी माता छमा चौधरी जोकि उसी गांव की बेटी भी है और उसी गांव की बहु भी है वह घर को संभलती है और पिता किसान है।
दुल्हन को घोड़ी पर बैठे देख हर कोई चौक गया
वहीं दुल्हन भाग्यश्री ने बताया की मेरे पापा का सपना था कि मैं घोड़ी पर बैठकर जाऊं और मेरा भी यही सपना था की मैं घोड़ी पर बैठकर जाऊं इसमें मेरे परिवार मेरे माता-पिता ने पूरा सहयोग किया , मै करीब एक घंटे घोड़ी पर बैठी और मुझे बहुत अच्छा लगा।
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