मशरूम की खेती से बदली महिला की किस्मत… बेटे को बनाया इंजीनियर, रोज कमा रही हजारों रुपये, 500 महिलाओं को दे रही ट्रेनिंग
बिहार के भागलपुर की एक महिला ने मशरूम की खेती कर न सिर्फ अपनी बल्कि अपने पूरे परिवार की किस्मत पलट दी. एक वक्त ऐसा था, जब महिला के पास माचिस खरीदने तक के पैसे नहीं थे. आज मशरूम की खेती करके महिला ने अपने बेटे को इंजीनियर बनाया और हर महीने 60 हजार से ज्यादा का मुनाफा कमा रही हैं. महिला का नाम शिला देवी है, जिन्हें बिहार में कृषि विभाग से सहयोग मिला.
अब शिला देवी 500 से ज्यादा महिलाओं को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग भी दे रही हैं. कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण के परियोजना निदेशक प्रभात कुमार के सहयोग से उन्होंने मशरूम उत्पादन 5 साल पहले शुरू किया था. उस वक्त शिला देवी की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि एक वक्त के खाने के लिए भी सोचना पड़ता था. उनका पति मजदूरी करता था और दोनों के चार बच्चे हैं. ऐसे में शिला देवी ने मशरूम उत्पादन शुरू किया.
60 हजार रुपये महीने कमा रहीं
शिला देवी ने मशरूम उत्पादन से शुरुआत में थोड़े-थोड़े पैसे जमा शुरू किए. फिर मशरूम से कई प्रोडक्ट जैसे- मशरूम बड़ी, मशरूम अचार , मशरूम रसकदम तैयार करने लगीं. शिला देवी का नाम मशरूम दीदी पड़ गया. फिर शिला को कहलगांव एनटीपीसी में हर क्वार्टर से मशरूम के आर्डर मिलने लगे. मेले में स्थान मिलने लगा. ऐसे में उनकी आय बढ़ती गई. उन्होंने बड़े बेटे का एडमिशन कटिहार इंजीनियरिंग कॉलेज में कराया. अब वह खुद भी 60 हजार रुपये महीना कमा रही हैं और बाकी महिलाओं को भी प्रेरित किया.
शिला के पति करते हैं मजदूरी
शिला देवी ने कहा, “मशरूम के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी. पति मजदूरी करते थे और हम घर मे खाना बनाते थे. फिर एक अधिकारी ने इसके बारे में बताया तो हमने एक ग्रुप बनाकर 25 महिलाओ को जोड़ा. फिर ATMA से समस्तीपुर ट्रेनिंग के लिए भेजा गया. मशरूम की 7 दिन ट्रेनिंग ली और एक किलोग्राम बीज भी मिले. जब हमने बीज लगाया तो लोग हमें पागल कहने लगे. जब मशरूम उत्पादन हुआ. तब सब को यकीन हुआ. फिर मैंने ATMA (AGRICULTURAL TECHNOLOGY MANAGEMENT AGENCY) से कई महिलाओं को बीज उपलब्ध कराए.
कैसे होता है मशरूम उत्पादन?
शिला देवी ने बताया कि मशरूम को सुखाकर उसको पीसकर पाउडर बनाते हैं. उससे बड़ी, पापर, रसकदम अचार बनाते हैं. मशरूम का पाउडर बनता है. उसे गर्म दूध में पीने से शरीर में फुर्ती आती है. शिला का एक लड़का इंजीनियरिंग है और एक बेटी B.A कर रही है. दूसरा बेटा BSC कर रहा है. शिला देवी ने बताया कि वह मशरूम के पकोड़े बेचकर एक दिन में 18 हजार रुपये कमा लेती हैं.
पिछले सात सालों से चल रहा काम
ATMA के परियोजना निदेशक प्रभात कुमार ने शिला देवी की सराहना करते हुए बताया कि ATMA की ओर से 5 से 7 सालों से मशरूम उत्पादन और विपणन विषय पर ट्रेनिंग दी जा रही है और महिलाओं को उद्यमी बनाने की कोशिश की जा रही है. शिला देवी को हमने राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा में ट्रेनिंग के लिए भेजा था. शिला देवी ने मशरूम उत्पादन शुरू किया और अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए खुद ही विपणन भी करने लगीं. स्थानीय घरेलू महिलाओं को भी ट्रेनिंग दी, जिससे उनकी किस्मत बदली और अब अच्छा मुनाफा हो रहा है.
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