दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में बीजेपी के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी जमीन पर उतर चुका है. सोमवार को आरएसएस पदाधिकारियों और दिल्ली बीजेपी नेताओं के साथ लंबी बैठक हुई. इस बैठक में चुनाव की दृष्टि से पार्टी और संघ द्वारा चलाए जा रहे ओवरऑल चुनावी कार्यक्रमों की विस्तृत बातचीत हुई. उन 59 सीटों पर भी समीक्षा हुई जहां बीजेपी ने अब तक उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में अब तक बीजेपी द्वारा जारी 59 टिकटों में से A, B+, C और D कैटेगरी की सीटों पर विस्तृत चर्चा की गई. बैठक में C कैटेगरी में आ रही 32-33 सीटें पर पार्टी और कार्यकर्ताओं को अत्यधिक जोर लगाने की जरूरत पर बल दिया गया. A कैटेगरी में कन्फर्म जीतने वाली सीटों को रखा जाता है. जबकि B+ में बीजेपी की अपर एज वाली सीटों को रखा जाता है. C कैटेगरी में प्रतिद्वंदी के साथ कांटे की टक्कर वाली सीटों को रखा जाता है. जबकि D में कमजोर सीटों को रखा जाता है.
बैठक में प्रोग्राम को लेकर भी हुई चर्चा
जानकारी के अनुसार संघ के अधिकारियों के साथ बैठक में चर्चा हुई कि चुनाव की दृष्टि से अब तक क्या क्या प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. उसमें कितनी सफलता मिली है. अब तक ड्राइंग रूम बैठकें कितनी हुईं और लोगों का रिस्पॉन्स क्या रहा. साथ ही ये भी चर्चा की गई कि आगे किन किन विषयों पर ध्यान केंद्रित करना है. आगे किस दिशा में बढ़ना है. इस बात पर भी फीडबैक ली गई कि संघ के अन्य अनुषांगिक संगठनों का सहयोग कितना मिल रहा.
बाद में संघ की बैठक से अलग बीजेपी नेताओं की आंतरिक बैठक भी हुई जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष के नेतृत्व में विशेष निर्णय लिया गया कि दिल्ली चुनाव में केंद्रीय नेताओं को उतारा जाएगा. दिल्ली की हरेक 2 विधानसभा क्षेत्रों को एक बड़े नेता के जिम्मे दिया जाएगा. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिवों, केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी के महत्वपूर्ण 35 नेताओं को 70 विधानसभा क्षेत्रों में दो दो विधानसभा का चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी दी जा रही है.
3 महासचिवों को एक लोकसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी
इसके अलावा दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, प्रदेश प्रभारी बैजयंत पांडा, 3 महासचिवों को एक एक लोकसभा चुनाव क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है. इन लोकसभा क्षेत्रों में दिल्ली के ये नेता डे टुडे के हरेक डेवलपमेंट को मॉनिटर करेंगे और समस्या का त्वरित निदान के उपाय करेंगे.
बीजेपी इस विधानसभा चुनाव में दलित वोटरों को साधने की पूरी कोशिश कर रहा है. दलित वर्ग में आउटरीच कार्यक्रम और झुग्गी बस्ती आउटरीच पर भी चर्चा हुई है. दिल्ली की 12 अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व सीट पर बीजेपी लगातार दो चुनाव में खाता नहीं खोल पाई है. इन एक दर्जन सीटों के अलावा करीब 17-18 विधानसभा सीट ऐसी हैं जहां 20 फीसदी से अधिक दलित वोटर है उन पर चल रहे कार्यक्रमों की अलग से समीक्षा की गई है.
18000 दलित युवकों की बहाली
गौरतलब है कि अनुसूचित जाति बहुल 30 विधानसभा क्षेत्रों में एक एक दलित विस्तारक नियुक्त किया गया है. इन सभी 30 विस्तारकों ने अपने विधानसभा के हरेक बूथ पर 10 दलित युवा बहाल किए हैं. इन 30 विधानसभा क्षेत्रों के 1900 बूथ पर करीब 18000 दलित युवकों की बहाली की गई है. इसके अलावा इन सभी 30 विधानसभा क्षेत्रों में 3500 दलित इन्फ्लूएंसर बहाल किए गए हैं. बीजेपी इस बार दलित बहुल विधानसभा क्षेत्रों में दो चुनाव से पड़े हुए सूखे को खत्म करना चाहती है.
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