उत्तर प्रदेश के कानपुर में बनी कई ऐतिहासिक इमारतों की घड़ियां मरम्मत न होने की वजह से बंद थी. नगर निगम की तत्पर्ता के बाद एक बार फिर से इन ऐतिहासिक इमारतों की घड़ियों को चालू किया गया है. हालांकि कई इमारतों की घड़ियां अभी भी मरम्मत न होने की वजह से बंद पड़ी हैं. जानकारी के मुताबिक, कानपुर के प्रमुख क्लॉक टावर फूल बाग, घंटाघर, बिजली घर और कोतवाली में लगी घड़ियों को चालू कराया गया है.
कानपुर के प्रमुख क्लॉक टावर फूल बाग, घंटाघर, बिजली घर और कोतवाली में लगी घड़ियों को चालू कराया गया है. वहीं लाल इमली मिल के मजदूरों ने कहा कि क्लॉक टावर में लगी घड़ी चालू हो जाए तो एक फिर से कानपुर का सही समय वापस आ सकता है. कहा जाता है कि एक वह भी दौर था जब घड़ियां हर व्यक्ति की पहुंच से दूर थी. हर हाथ में मोबाइल नहीं थे. ऐसे में कानपुर के मिल मजदूरों के लिए अंग्रेजों के जमाने में कानपुर के विभिन्न इलाकों में स्थित ऐतिहासिक इमारत पर घड़ियां लगवाई गई थी जो पूरी तरह से मैन्युअल थी जिसमें चाबी भरने की प्रक्रिया के बाद यह घड़ियां समय बताती थी.
पूर्व का मैनचेस्टर कहे जाने वाले कानपुर में अंग्रेजों ने यहां की कुछ विशेष इमारत पर टिक-टिक करती घड़ियां लगवाई थी. इन घड़ियों से शहर के लोगों को सही समय बताती थी. वहीं समय के साथ कनपुर ने मैनचेस्टर आफ ईस्ट का दर्जा खोया और इन घड़ियों ने अपनी समय बताने की क्षमता.
फिर से चालू हुईं बंद पड़ी घड़ियां
काफी समय तक अपने अस्तित्व को बनाए रखने के बाद इन घड़ियों ने काम करना बंद कर दिया. इनके पुर्जों में जंग लग गई और लोगों ने समय के लिए इन घड़ियों की ओर देखना भी बंद कर दिया लेकिन कहा जाता है कि समय सबका आता है जी हां कानपुर की प्रमुख क्लॉक टावर हैं. फूल बाग, घंटाघर, बिजली घर, कोतवाली में लगी घड़ियों को चालू कराया गया है. इन कानपुर की ऐतिहासिक इमारतों पर लगी घड़ियों ने अब सही समय बताना शुरू किया है.
नगर निगम प्रशासन ने सभी घड़ियां चालू कराई हैं लेकिन लाल इमली मिल की घड़ी अभी भी बंद पड़ी है. लाल इमली मिल के मजदूरों का कहना है कि घड़ी को सही किया जाए. क्योंकि कहा जाता है कि घर वा संस्थानों में बंद घड़ियां आपका समय खराब होने का संकेत देती हैं. वास्तु शास्त्र के हिसाब से बंद या खराब घड़ियों को घर से हटा देना चाहिए.
लाल इमली मिल के मजदूरों ने क्या कहा?
मिल मजदूरों ने भाजपा सरकार और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हाल ही में मिल के पुनरुद्धार की घोषणा और मिल की घड़ी का समय ठीक करने की मांग की थी. ऐसे कई सवाल भी उठ रहे हैं. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या लाल इमली मिल की घड़ी शुरू होने के बाद कानपुर का सही समय आ जाएगा.
लाल इमली के एक कर्मचारी के बेटे डेविड मासी को कानपुर नगर निगम ने स्मार्ट सिटी योजना के तहत काम पर रखा है. जिससे सभी घड़ियां चालू कर दी गई है. डेविड मासी बताते हैं कि इन गाड़ियों का मैनुअल होने के चलते उनकी गारी करने से कट जाते हैं. अब उन्हें दोबारा खरादी से बनवाकर रिपेयर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कपड़ा मंत्रालय से लाल इमली मिल का पैसा न मिलने के कारण वहां की घड़ी अभी बंद है. बाकी शहर की सभी घड़ियों को दुरुस्त किया गया है.
70 साल तक किया मेंटेन
डेविड मासी ने कहा कि कानपुर पूर्व कमिश्नर राजशेखर ने इन घड़ियों को लेकर स्मार्ट सिटी योजना से मेंटेनेंस का बजट बनवाया था. डेविड मासी ने कहा कि वैसे तो लाल इमली मिल की स्थापना के बाद से उनके पिता और उन्होंने 70 साल तक घड़ी को मेंटेन किया. घड़ी को मेंटेन करने की तनख्वाह उनको कपड़ा मंत्रालय की ओर से दी जाती थी. लाल इमली मिल की घड़ी बेहद मैन्युअल पैटर्न से चलती है जिसको चलाने के लिए घड़ी में तीन टाइम चाबी भरनीहोतीहै.
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