यह कहानी है एक युवक की बेबसी की, नाउम्मीदी और असहनीय पीड़ा की, जो बस चाहता है कि उसे मौत आ जाए, उसे कोई खत्म कर दे. नाम है गोपाल, जिसकी उम्र 44 साल है. उसे एक ऐसी बीमारी है, जिससे उसका शरीर एक लाश की तरह हो गया है. गोपाल तेलंगाना के नलगोंडा का रहने वाला है. उसने इंटर तक की पढ़ाई भी की है.
गोपाल 24 साल पहले ऐसा नहीं था. वह साल 2000 में एक संस्थान में नौकरी कर रहा था. लेकिन उसके शरीर में अजीबोगरीब बदलाव होने लगे. उसे शारीरिक कमजोरी महसूस होने लगी. जब यह दिक्कत ज्यादा बढ़ गई तो उसने हैदराबाद के एक अस्पताल में अपनी मेडिकल जांच करवाई. यहां पर डॉक्टरों ने बताया कि उसे बेहद दुर्लभ बीमारी ने जकड़ रखा है. वह मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम की बीमारी से पीड़ित है.
‘हाथ-पैरों ने काम करना बंद कर दिया’
गोपाल के परिवारवालों के मुताबिक, उन्होंने कभी भी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी बीमारी का नाम सुना नहीं था. डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि इस बीमारी से गोपाल के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देंगे. हड्डियां कमजोर हो जाएंगी. हुआ भी ऐसा ही. गोपाल का शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगा. उसके हाथ-पैरों ने काम करना बंद कर दिया. इस बीमारी की वजह से उसकी नौकरी चली गई. वह बेजान सा हो गया. वह चल नहीं सकता है. वह सिर्फ बोल सकता है.
मां करती हैं देखभाल
75 साल की मां अंजम्मा बेटे की इस पीड़ा को देख रो पड़ती हैं. वह कहती हैं कि उन्हें लगा था कि बेटा एक दिन बुढ़ापे का सहारा बनेगा, लेकिन अब बच्चे जैसा उसका ख्याल रखना पड़ता है. अंजम्मा कहती हैं कि घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. ऐसे में बेटे का बेहतर ख्याल भी नहीं रख पातीं. उनके पास पैसा नहीं है, जिससे उसका बेहतर इलाज हो.
‘इंजेक्शन लगाकर मौत की मांग’
अब गोपाल ने सरकार से मांग की है कि उसे या तो बेहतर इलाज मुहैया कराई जाए या इस नरक से मुक्ति दिलाई जाए. उसे इंजेक्शन लगाकर मौत दी जाए. गोपाल का कहना है कि वह इच्छा मृत्यु के लिए एक आवेदन कलेक्टर और सीएम रेवंत रेड्डी को देगा. उसके वकील इस पर काम कर रहे हैं. यदि वह मर जाता है, तो वह चाहता है कि उसके शरीर का इस्तेमाल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज खोजने के लिए अनुसंधान पर किया जाए.
क्या है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी?
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (एमडी) एक ऐसी बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. एक समय ऐसा भी आता है कि मरीज हिल भी नहीं सकता. तेलंगाना में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के 6,000 मरीज हैं. गोपाल ने राज्य सरकार से अपील की है कि इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए एक केयरटेकर नियुक्त किया जाए. गोपाल का कहना है कि राज्य में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मरीजों को केवल 4,000 रुपये दिव्यांगता पेंशन मिल रही है. वहीं आंध्र प्रदेश में इन मरीजों को 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है. यहां भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.