टमाटर की कीमतें 400 से 30 रुपये किलो और रसोई गैस के दाम 200 रुपये तक होने से क्या महंगाई कम हो गई है? दरअसल, अगस्त की शुरुआत तक महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ रखी थी, टमाटर समेत बाकि सब्जियों और रसोई गैस के दाम सातवें आसमान पर थे, लेकिन सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने की कोशिश की और टमाटर को 400 से 30 रुपये पर ला दिया और रसोई गैस को भी 200 रूपए तक सस्ता कर दिया, लेकिन क्या इसके बाद महंगाई कम हो गई? दरअसल, सब्जियों, रसोई गैस की कीमतों का सीधा असर आम जनता की थाली पर पड़ता है, एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त के महीने में जुलाई के मुकाबले थाली की कीमतों में कमी आई है, हालांकि सालाना तौर पर ये अभी भी महंगी है, अगस्त में सालाना तौर पर एक वेजिटेरियन थाली की कीमत 24% तक महंगी हुई हैं, इसके बढ़ने का 21% कारण टमाटर की बढ़ती कीमतें थी, इस बात की जानकारी क्रिसिल ने अपने फूड प्लेट कॉस्ट के मंथली इंडिकेटर रोटी राइस रेट रिपोर्ट में दी है, इस साल 2023-24 के दौरान ऐसा दूसरी बार हुआ है जब वेजिटेरियन थाली की कीमत में रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली है, इससे पहले जून की तुलना में जुलाई में वेज थाली की कीमत में 28 परसेंट की बढ़ोतरी हुई थी, इस दौरान भी टमाटर की वजह से थाली कीमत पर फर्क पड़ा था, वहीं, जुलाई में नॉन-वेज थाली की कीमत में 11 परसेंट तेजी आई थी, पिछले साल अगस्त में टमाटर के दाम 37 रुपये किलो थे जो इस साल बढ़कर 102 रुपये पहुंच गए, क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, प्याज की कीमत में 8%, मिर्च 20% और जीरे की कीमत में 158% की तेजी आई, वहीं, वेजिटेबल ऑयल की कीमत में 17% और आलू की कीमत में 14% की गिरावट से महीने-दर-महीने आधार पर दोनों थालियों की कीमत में कुछ हद तक कमी आई है, क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई-अगस्त के मुकाबले सितंबर में थाली की कीमत में कुछ कमी देखने को मिल सकती है, मौजूदा समय में टमाटर की कीमते 30 से 40 रुपए किलो हैं, इसके अलावा 14.2 किलोग्राम वाले LPG सिलेंडर की कीमत सितंबर में घटकर 903 रुपये हो गई है. जो अगस्त में 1,103 रुपये थी, इससे कंज्यूमर्स को महंगाई में कुछ राहत मिल सकती है, सरकार ने हाल में रसोई गैस की कीमतों में 200 रुपये की कटौती की है, वहीं नॉन वेजिटेरियन थाली की कीमत अगस्त में सालाना तौर पर 13% बढ़ी है, हालांकि, नॉन-वेज थाली की कीमत सालाना आधार पर कम बढ़ी हैं, चिकन की कीमत सालभर में 1 से 3% ही बढ़ी है, नॉन-वेज थाली की टोटल कॉस्ट में चिकन की हिस्सेदारी 50% की होती है।