इंदौर । इंदौर में बढ़ते पब कल्चर और नशे के खिलाफ नईदुनिया द्वारा प्रारंभ जन जागरण अभियान का असर अब नजर आने लगा है। जनप्रतिनिधि, कलेक्टर, कमिश्नर और सामाजिक कार्यकर्ता भी नशे की बढ़ती प्रवृत्ति से चिंतित हैं। रविवार को सभी ने एक जाजम पर इकट्ठा होकर इंदौर के संस्कारों को बचाने और नशे के खिलाफ योजना तैयार करने को लेकर अपनी चिंता और चिंतन साझा किया।
संस्था सेवा सुरभि और इंदौर प्रेस क्लब के तत्वावधान में प्रेस क्लब में ‘आइए! इंदौर को बनाएं सुरक्षित और नशामुक्त’ विषय पर विचार गोष्ठी हुई। इसमें सभी ने एकमत से संकल्प लिया कि इंदौर को नशामुक्त बनाकर ही दम लेंगे। विचार गोष्ठी में मनोचिकित्सक डा. निखिल ओझा ने कहा कि नशे की गिरफ्त में आने वाली महिलाओं और युवतियों का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। जब किसी बच्चे को शुरू के 14 वर्षों तक खुशियां नहीं मिलतीं तो वह उसे मोबाइल या अन्य साधनों में ढूंढता है। इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को शुरू से ही ऐसे संस्कार और
शिक्षा दें कि वे गलत राह पर नहीं चलें।
गोष्ठी में शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीतसिंह चड्ढा, पूर्व डीआइजी धर्मेंद्र चौधरी, डा. भरत शर्मा, अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता, उपाध्यक्ष अशोक कोठारी, सुनील माकोड़े, आलोक खरे, पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष डा. गौतम कोठारी, भाजपा नेता बालकृष्ण अरोरा, जयंत भिसे, समाजसेवी डा. रजनी भंडारी, किशोर कोडवानी, ईश्वर बाहेती, प्रदीप जोशी आदि मौजूद थे।
फिल्मों के माध्यम से जागरूक करें
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि नशे के खिलाफ गली-गली में जागरूकता अभियान चलाया जाए। ऐसी बुकलेट बनाई जाए, जिसमें नशे के घातक परिणामों का उल्लेख हो। जागरूकता के लिए 10-10 मिनट की फिल्में बनाकर लोगों और विशेषकर विद्यार्थियों को जागरूक किया जाए। उज्जैन और मंदसौर से जो नशा आ रहा है, उसे रोका जाए। कानून में जो पेचीदगियां हैं, उन्हें भी दूर किया जाना चाहिए, ताकि ड्रग पैडलर को सख्त सजा मिल सके।
नशेबाज आयोडेक्स खा रहे
पुलिस आयुक्त पुलिस कमिश्नर मकरंद देऊस्कर ने कहा कि जो नशा करने वाले हैं, वे अपनी तड़प पूरी करने के लिए दर्द निवारक आयोडेक्स को खा रहे हैं। नशेबाज को हम हेय दृष्टि से नहीं देखें, उसे हम पीड़ित मानें। शहर में अनुमानित 10 से 15 हजार ड्रग एडिक्ट हैं, जो नियमित नशा करते हैं। ऐसे लोगों को पुलिस कस्टडी में रखना भी मुश्किल है।
नशे के खिलाफ एक्शन प्लान जरूरी
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि नशे के बहुत घातक परिणाम होते हैं। अत: हमें ठोस कदम उठाने की जरूरत है। पुलिस प्रशासन का भय जरूरी है। साथ ही वह एक्शन भी ले। स्कूल, कालेज के साथ ही कोचिंग क्लासेस और हास्टलों में अध्ययनरत बच्चों के बीच सामाजिक संगठन के सदस्यों को लगातार जाना चाहिए। इस शहर के लिए मैं क्या कर सकता हूं, यह जरूरी है। विभिन्न स्तरों पर एक्शन प्लान बनाए जाएं।
नशामुक्ति केंद्र और इसका ब्लू प्रिंट बनाएं : कलेक्टर
कलेक्टर डा. इलैया राजा टी ने कहा कि नशे की समस्या किसी एक शहर या देश की न होकर संपूर्ण विश्व की है। हम नई पीढ़ी को समझने में भूल कर रहे हैं। लक्षण कुछ हैं और बीमारी कुछ है। हम लक्षण को देखकर इलाज कर रहे हैं, इसलिए बीमारी बनी हुई है। 15 से 30 वर्ष के जो बच्चे हैं, उनको इंगेज करने के लिए हमारे पास न अच्छे खेल के मैदान हैं और न कोई अन्य साधन। नशा केवल लिकर तक सीमित नहीं है, इसमें कई तरह के ड्रग्स भी शामिल हैं, जो हमारी नई युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं। आवश्यकता इस बात की है कि हम अधिक से अधिक नशामुक्ति केंद्र बनाएं और इसका एक ब्लू प्रिंट तैयार करें।
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