वाशिंगटन।वैज्ञानिकों ने 46 हजार साल पहले के एक कीडे को जीवित किया है। जब पृथ्वी पर ऊनी मैमथ, बड़े दांतों वाले टाइगर और एल्क हुआ करते थे। तब यह कीड़े अस्तित्व में थे। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर सेल बायोलॉजी एंड जेनेटिक्स में प्रोफेसर एमेरिटस टेयमुरास कुर्जचालिया के अनुसार, यह राउंडवार्म साइबेरियाई पर्माफ्रॉस्ट में सतह से 40 मीटर (131.2 फीट) नीचे सुप्त अवस्था में जीवित रहा। जिसे क्रिप्टोबायोसिस के रूप में जाना जाता है।
मेटाबोलिक एक्टिविटी का स्तर कम
कुर्जचालिया ने बताया कि क्रिप्टोबायोटिक अवस्था में जीव पानी या ऑक्सीजन की पूर्ण अनुपस्थिति को सहन कर सकते हैं। इसके अलावा, उच्च तापमान के साथ अत्यधिक नमकीन परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। वे मृत्यु और जीवन के बीच की स्थिति में रहते हैं। जिसमें उनकी मेटाबोलिक एक्टिविटी एक स्तर तक कम हो जाती है।
वैज्ञानिकों ने बताया इससे प्रमुख खोज
उन्होंने कहा कि कोई भी जीव इस स्थिति में अपना जीवन रोक सकता है और फिर उसे शुरू कर सकता है। यह एक प्रमुख खोज है। पांच साल पहले, रूस में मुदा विज्ञान में भौतिक रासायनिक और जैविक समस्याओं के संस्थान के वैज्ञानिकों ने साइबेरियाई पर्माफ्रॉस्ट में दो राउंडवॉर्म प्रजातियां पाई थीं।
46 हजार साल पुराना जीव
सीएनएन के अनुसार, शोधकर्ता अनास्तासिया शातिलोविच ने पानी में पुनर्जलीकरण करके दो कीड़ों को पुनर्जीवित किया। इन वर्म का समय का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने रेडियोकार्बन विश्लेषण किया। इसमें पता चला कि यह करीब 46 हजार साल पुराने हैं। हालांकि वैज्ञानिकों को नहीं पता था कि कोई ज्ञात प्रजाति है या नहीं। आखिरकार ड्रेसडेन और कोलोन में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए आनुवंशिक विश्लेषण से पता चला कि ये कीड़े नई प्रजाति के थे। जिसे शोधकर्ताओं ने पैनाग्रोलाईमेस कोलीमेनिस नाम दिया।
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