नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में कहा है कि नशा देश के लिए गंभीर समस्या है इस पर सियासत नहीं होना चाहिए। शाह ने साफ तौर पर कहा है कि ड्रग्स के मामले में मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है। दरअसल गृह मंत्री शाह संसद में नशे के मुद्दे पर उठे सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है और मोदी सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है। केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा है कि नार्को टेरर पर भी मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
संसद को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि सभी एंट्री पॉइंट पर निगरानी बढ़ानी होंगी। इसमें राज्य सरकार का सहयोग जरूरी होगा है। नशे की वजह से लाखों परिवार बर्बाद हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नशाखोरी एक गंभीर समस्या है जो पीढ़ियों को नष्ट कर रहा है। ड्रग्स से होने वाले मुनाफे का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए होता है। केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि हमारी सरकार की ड्रग्स के कारोबार और इससे होने वाली कमाई के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है। नशा मुक्त भारत के लिए हमारी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ने वाली हैं। उन्होंने कहा कि ये लड़ाई केंद्र या राज्य की नहीं बल्कि हम सभी की है और इसके वांछित परिणाम के लिए बहु-आयामी प्रयास आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि जो देश हमारे देश में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं वे ड्रग्स से होने वाले मुनाफे का इस्तेमाल उसी के लिए कर रहे हैं। इस गंदे पैसे की मौजूदगी भी धीरे-धीरे हमारी अर्थव्यवस्था को खोखला कर देती है।
केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि हमें सीमाओं बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से दवाओं के प्रवेश को रोकने की जरूरत है। राजस्व विभाग एनसीबी और मादक पदार्थ रोधी एजेंसियों को एक ही पृष्ठ पर होने वाले खतरे के खिलाफ काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की नीति बहुत स्पष्ट है नशा करने वाले पीड़ित हैं हमें उनके प्रति संवेदनशील होना चाहिए और पीड़ितों को उनके पुनर्वास के लिए अनुकूल माहौल देना चाहिए। लेकिन मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एनसीबी पूरे देश में जांच कर सकती है। यदि अंतर-राज्यीय जांच करने की आवश्यकता है तब एनसीबी प्रत्येक राज्य की मदद करने के लिए तैयार है। यहां तक कि एनआईए भी राज्यों की मदद कर सकती है अगर देश के बाहर जांच की जरूरत है।
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