पाला व कोहरा से फसलों को होता है नुकसान…कृषि वैज्ञनिक बोले- किसान सावधानी बरतें, बचाव के लिए जागरूक रहें
ठंड के मौसम में पाला और कोहरा पड़ने लगा है। इससे फसलों को नुकसान हो सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार ने किसानों को सतर्कता बरतने और बचाव के बिंदुओं पर जागरूक होने पर जोर दिया है। उनका कहना है कि कोहरा प्रायः ठंडी आर्द्र हवा में बनता है। इसके अस्तित्व में आने की प्रक्रिया बादलों जैसी ही होती है।
गर्म हवा की अपेक्षा ठंडी हवा अधिक नमी लेने में सक्षम होती है और वाष्पन द्वारा यह नमी ग्रहण करती है। ये वह बादल होता है, जो भूमि के निकट बनता है। यानि एक बादल का वह भाग जो भूमि के ऊपर हवा में ठहरा हुआ डस्ट हो, कोहरा नहीं होता। बल्कि बादल का वह भाग, जो ऊपरी भूमि के संपर्क में आता है, कोहरा कहलाता है।
पाले के लक्षण व उससे होने वाला पौधे व फसल पर प्रभाव
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि पाला के प्रभाव से फल कमजोर तथा कभी-कभी मर भी जाता है। फूलों में सिकुड़न आने से वो झड़ने लगते हैं। पाले से फसल का रंग समाप्त होने लगता है, जिससे पौधे कमजोर और पीले पड़ने लगाते हैं। पत्तियों का रंग मिट्टी के रंग जैसा दिखने लगता है। इसमें अगर फलोंं की बात की जाए तो फल के ऊपर धब्बे पड़ जाते हैं व स्वाद भी खराब हो जाता है। पाले से फल व सब्जियों में कीटों का प्रकोप भी बढ़ने लग जाता है, जिससे सब्जियां सिकुड़ तथा खराब हो जाती है। जिससे कभी-कभी शत प्रतिशत सब्जियों की फसल नष्ट हो जाती हैं।
किसानों को धुआं का इंतजाम करने के दिए निर्देश
कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि जब रात को कोहरा दिखने लगे या ठंडी हवा चलने की संभावना हो, उस समय खेत के आस पास हवा दिशा में खेतों मेड़ों पर रात्रि में कूड़ा-कचरा या घास-फूस जलाकर धुआं करना चाहिए, ताकि खेत में धुआं हो जाए एवं वातावरण में गर्मी आ जाए। धुआं करने के लिए क्रूड ऑयल का प्रयोग भी कर सकते हैं। जिससे हमारे खेत के ऊपर एक परत सी बन जाती है। ऐसा करने से 4 डिग्री सेल्सियस तापमान आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
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