गांबिया में संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि कफ़ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में भारतीय दवा कंपनी पर मुक़दमा चलाया जाए, भारतीय कंपनी मेडन फार्मास्यूटिकल्स पर उसके बनाए चार कफ़ सिरप से 70 बच्चों की मौत होने का आरोप है, संसदीय समिति ने कहा कि इन मौतों के मामले में दूषित दवाएं निर्यात करने को लेकर मेडन फार्मास्यूटिकल्स को ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अक्टूबर में एक अर्ल्ट जारी कर दवा नियामकों को सिरप की बिक्री रोकने के लिए गया था, हालांकि, मेडन फार्मास्यूटिकल्स ने इन आरोपों से इनकार किया था, भारत में भारतीय प्रयोगशालाओं ने कहा था कि सिरप की जांच के बाद पाया है कि उन्होंने भारत में सरकारी प्रयोगशालाओं ने कहा था कि सिरप की जांच में पाया गया कि वे “निर्देशों का अनुपालन” कर रहे थे. एक भारतीय अधिकारी ने पिछले हफ़्ते कहा था कि डब्ल्यूएचओ सिरप को दोष देने में जल्दबाज़ी में था, हफ़्तों की जांच के बाद संसदीय समिति ने अब सिफ़ारिश की है कि प्रशासन को सख़्त कदम उठाने चाहिए जिसमें मेडन फार्मास्यूटिकल्स के सभी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाना और कंपनी के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करना शामिल है, समिति ने कहा, ”वो मानती है कि मेडन फार्मास्यूटिकल्स दोषी है और दूषित दवाइयां निर्यात करने के लिए उसे ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए.” संसदीय समिति ने भी पिछली रिपोर्ट की तरह पाया है कि चारों कफ़ सिरप में डाइथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल की अनुचित मात्रा थी जिसके चलतें मौतें हुई थीं।