नई दिल्ली । कोविड-19 ने भारत समेत पूरी दुनिया में जमकर तबाही मचाई है। लेकिन देखा गया है कि कोरोना वायरस ने बच्चों को अपना शिकार कम बनाया है। हाल के दिनों में भारत में सदियों से चली आ रही एक बीमारी ने हाल के दिनों में नए सिरे से मुश्किल खड़ी कर दी है। भारत में खसरे की वजह से इस साल 40 बच्चों की मौत हो गई है जबकि देशभर के करीब 10 हजार बच्चों को इस बीमारी ने अपना शिकार बनाया। यह जानकारी संसद में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक सवाल के जवाब में दी।
पवार ने कहा कि सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र से सामने आए। महाराष्ट्र में खसरे के कुल 3075 मामले दर्ज किए गए इससे 13 बच्चों की मौत हुई। इसके बाद झारखंड में 2683 मामले और आठ मौतों की पुष्टि हुई है। वहीं गुजरात में 1650 हरियाणा में 1537 बिहार में 1276 और केरल में 196 मामले दर्ज किए गए। अगर खसरा से मौतों की बात करें तो गुजरात में 9 हरियाणा में 3 और बिहार में 7 मौत हुईं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि रिपोर्ट किए गए कुछ मामलों और मौतों की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन उन्हें इस लिस्ट में शामिल किया गया है क्योंकि इन मरीजों में खसरा के लक्षण देखे गए थे और ये उन स्थानों पर रह रहे थे जहां से इस बीमारी के मरीजों की पुष्टि हुई।
बता दें कि खसरा एक संक्रामक रोग है। ये खांसने और छींकने से फैलता है। अभी तक खसरा के लिए कोई खास एंटीवायरल दवा नहीं है। केवल इस बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। पिछले महीने केंद्र ने महाराष्ट्र सरकार को सलाह दी थी कि राज्य में खसरे के मामलों में हो रहे इजाफा को देखते हुए इससे प्रभावित इलाकों में नौ महीने से पांच साल की उम्र के सभी बच्चों को खसरा और रूबेला युक्त वैक्सीन (एमआरसीवी) की एक्स्ट्रा डोज दी जाए। बता दें कि बच्चों को खसरे के दो टीके लगाए जाते हैं पहला 9 से 12 महीने पर और दूसरा 16-24 महीने पर। खसरा के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने 6 से 9 महीने की उम्र के सभी बच्चों को एमआरसीवी की एक एक्स्ट्रा टीके लगाने की सिफारिश की है।
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