दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज के फ़ैसले के ख़िलाफ़ महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अपील पर उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने गुरुवार को अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा है, इससे पहले शिवसेना के चुनाव चिह्न ‘तीर-धनुष’ को फ्रीज़ करने के चुनाव आयोग के फ़ैसले को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे की याचिका को हाई कोर्ट के सिंगल जज बेंच ने ठुकरा दिया था, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रामोनियम प्रसाद की खंडपीठ ने उद्धव ठाकरे की अपील पर कहा, “इस मामले में हम अपना फ़ैसला सुरक्षित रख रहे हैं.” इस केस में कोर्ट में उद्धव ठाकरे की तरफ़ से कपिल सिब्बल और अन्य वकीलों ने पक्ष रखा, सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा, “जब मेरा चुनाव चिह्न ज़ब्त कर लिया गया तो चुनाव आयोग ने मेरा पक्ष नहीं सुना, इतिहास में पहले कभी भी दूसरे पक्ष को सुने बिना कोई फ़ैसला नहीं सुनाया गया था, हाई कोर्ट ने कहा कि प्रिलिमनेरी ऑब्जेक्शंस पर सुनवाई नहीं हो सकती है, ये कैसे संभव है? वे ऐसा कैसे कर सकते हैं, मैं इस आदेश में केवल इसका स्पष्टीकरण चाहता हूं, इससे ज़्यादा कुछ भी नहीं.” कपिल सिब्बल ने इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट से वाजिब आदेश देने की मांग की है, दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव नरूला ने 15 नवंबर को उद्धव ठाकरे की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग की कार्यवाही के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई रोक नहीं है, 8 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे, दोनों ही नेताओं को इस मामले में अंतिम फ़ैसला दिए जाने तक शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया था।