उज्जैन: विक्रम विश्वविद्यालय को पिछले महीने अक्टूबर में नैक से मिली बी++ ग्रेड के बाद से ही विश्वविद्यालय के जिम्मेदार एसएसआर (सेल्फ स्टेडी रिपोर्ट) में कमी रहने का हवाला देकर वापस अपील में जाने का भरोसा दिला रहे थे। अब कुलपति ने भी साफ कर दिया है कि विश्वविद्यालय यूजीसी में रिव्यू के लिए अपील में नही जाएगा। हालांकि रिव्यू के लिए 45 दिन की समय सीमा भी 2 दिसंबर को पूरी हो चुकी है।विक्रम विश्वविद्यालय के लिए अक्टूबर में हुए नैक मूल्यांकन के बाद विश्वविद्यालय को मिले अंकों में कमी रह गई थी। नैक से मिली रिपोर्ट के आधार पर विक्रम विश्वविद्यालय को बी ++ की ग्रेड मिली थी। हालांकि विश्वविद्यालय के जिम्मेदारों ने नैक की ग्रेड में कमी होने पर अपने बचाव में कई तरह के तर्क दिए थे। वहीं एसएसआर रिपोर्ट में खाली रहे कालम के लिए दस्तावेज की कार्रवाई कर रिव्यू (अपील) में जाने की बात कही थी।रिव्यू में जाने की तैयारी भी थी, लेकिन जानकारों ने बताया कि रिव्यू के बाद भी विक्रम को ए ग्रेड के लिए जितने अंक चााहिए उसमें भी संदेह है। कमजोर पक्ष जानकर अब विश्वविद्यालय ने भी रिव्यू कराने से अपने पैर पीछे खींच लिए है। कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे ने कहा कि रिव्यू में नही जा रहे है। रिव्यू में पैसा भी खर्च होगा और जो अंक चाहिए वे भी मिलना संभव नही है। अब एक बार फिर तैयारी कर वापस एक वर्ष बाद नैक मूल्यांकन कराएंगे।विश्वविद्यालय ने आईक्यूएसी की टीम बदलीविश्वविद्यालय प्रशासन ने नैक मूल्यांकन के बाद अब विश्वविद्यालय की आईक्यूएसी (इंटरनल क्वालिटी असीसमेंट सेल) की टीम भी बदल दी है। पहले इस टीम में भू-विज्ञान अध्ययनशाला के आचार्य डॉ. पीके वर्मा निदेशक और रसायन अध्ययनशाला की आचार्य डॉ. उमा शर्मा को नोडल को-ऑर्डिनेटर के पद से मुक्त कर अब नई टीम में कम्प्युटर विज्ञान संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश कुमार सिंह को आईक्यूएसी का निदेशक और गणित अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी को नोडल को-ऑर्डिनेटर का अतिरिक्त प्रभार वर्तमान दायित्व के साथ-साथ दिया है। आईक्यूएसी सेल में विश्वविद्यालय की गुणवत्ता, गतिविधियों की योजना तैयार की जाती है।
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