लक्ष्मी नारायण मंदिर, बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है। मेट्रो के इस प्रमुख आकर्षण का निर्माण उद्योगपति जी. डी. बिरला द्वारा किया गया जो 1939 में पूर्ण हुआ और जिसका उद्घाटन महात्मा गाँधी ने किया। ये दिल्ली की प्रमुख आकर्षण में एक हैं।बिड़ला मंदिर अपने यहाँ मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के लिए भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर देवी लक्ष्मी (धन और संपत्ति की देवी) और नारायण (उनके पति और त्रिमूर्ति के पालक) को समर्पित है। इनके अलावा इस मंदिर के चारों ओर भगवान कृष्ण, शिव, गणेश, हनुमान और बुद्ध को समर्पित छोटे मंदिर भी हैं। यहाँ देवी दुर्गा – शक्ति की देवी, को समर्पित एक मंदिर भी है। हिंदू मंदिर स्थापत्य कला की नगर शैली में बने इस मंदिर का निर्माण पंडित विश्वनाथ शास्त्री नाम के व्यक्ति के मार्गदर्शन में हुआ और इसके पूर्ण होने के बाद महात्मा गाँधी इसके उद्घाटन के लिए इस शर्त पर राज़ी हुए कि इस मंदिर में सभी धर्म और जातियों के लोगों को प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। 7.5 एकड के क्षेत्र में फैले हुए इस मंदिर का परिसर आकर्षक हरे उद्यानों और फव्वारों से मिलकर बना है जो प्रतिवर्ष हज़ारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है, अधिकांशतः दीवाली और जन्माष्टमी के दौरान।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्री लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से व्यक्ति को श्री नारायण के साथ लक्ष्मी जी के पूजन से प्राप्त होने वाले समस्त फलों की प्राप्ति होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार भक्त श्री लक्ष्मी नारायण पूजा का प्रयोग लंबी आयु, स्वास्थ्य, समृद्धि, आध्यात्मिक विकास, व्यापार में सफलता और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए करते हैं।इतिहास की बात की जाय तो यह मंदिर मूल रूप में 1622 में वीर सिंह देव ने बनवाया था, उसके बाद पृथ्वी सिंह ने 1793 में इसका जीर्णोद्धार कराया। सन 1938 भारत के में बड़े औद्योगिक परिवार, बिड़ला समूह ने इसका विस्तार और पुनरोद्धार कराया।