कर्नाटक के CM बोम्मई आज बेलगावी जाएंगे, शिंदे ने कहा था- एक इंज जमीन नहीं देंगे

बेंगलुरू: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच भड़की सीमा विवाद की चिंगारी के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई शुक्रवार को बेलगावी जाएंगे। यह महाराष्ट्र और कर्नाटक के बॉर्डर का इलाका है, जिस पर दोनों राज्य अपना दावा करते हैं। बोम्मई ने महाराष्ट्र के 40 गांवों पर अपना दावा ठोका था, इस पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार महाराष्ट्र की एक इंच जमीन भी नहीं जाने देगी।CM बोम्मई के दावों से भड़की चिंगारीबोम्मई ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि मेरी सरकार कर्नाटक की सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है और उसने ऐसा किया भी है। बोम्मई ने दावा किया है कि पानी के संकट से जूझ रहे महाराष्ट्र के सांगली जिले के कुछ गांवों ने कर्नाटक के साथ विलय की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है।हालांकि, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावों का खंडन किया और कहा कि ऐसे किसी गांव ने हाल ही में कर्नाटक के साथ विलय की मांग नहीं की है।उद्धव ने कसा था तंजमहाराष्ट्र के पूर्व CM उद्धव ठाकरे ने कहा था- “ऐसा लगता है जैसे कर्नाटक के CM बोम्मई महाराष्ट्र के 40 गांवों पर अचानक दावा करने के लिए पागल हो गए हैं?” उन्होंने CM शिंदे पर भी तंज कसते हुए कहा कि उनमें कर्नाटक CM के खिलाफ बोलने का साहस नहीं है। जवाब में शिंदे ने कहा था- हम बॉर्डर एरिया में मराठी लोगों को न्याय दिलाने का काम कर रहे हैं। 40 गांवों की समस्याओं को हल करना हमारी सरकार की जिम्मेदारी है।पुणे में मराठा महासंघ ने कर्नाटक के सीएम बोम्मई के विरोध में निप्पानी जाने वाली बसों के आने-जाने पर प्रतिबंध के संदेश लिखे हैं।फडणवीस के ट्वीट ने किया आग भड़काने का कामकर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई ने बुधवार को ट्वीट किया था – “महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा मुद्दे पर भड़काऊ बयान दिया है। उनका सपना कभी पूरा नहीं होगा। हमारी सरकार अपनी जमीन, पानी और सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।”इसके पहले फडणवीस ने एक ट्वीट किया था- “महाराष्ट्र का कोई भी गांव कर्नाटक नहीं जाएगा! राज्य सरकार बेलगाम-कारवार-निप्पानी समेत मराठी भाषी गांवों को पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से लड़ेगी।”केंद्रीय शासन की मांग कर चुके ठाकरेपिछले साल उद्धव ठाकरे ने विवादास्पद क्षेत्र को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की तर्ज पर कर्नाटक अधिकृत महाराष्ट्र तक कहा दिया था। इसके अलावा उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से विवादास्पद क्षेत्र का फैसला होने तक उसे केंद्र प्रशासित प्रदेश घोषित करने की मांग की थी। 23 नवंबर से इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है।क्या और क्यों है महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाददोनों राज्यों के बीच बेलगावी, खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार (उत्तरी कन्नड़ जिले) की सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। 1956 में भाषाई आधार राज्यों के पुनर्गठन के दौरान महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने मराठी भाषी बेलगावी सिटी, खानापुर, निप्पानी, नांदगाड और कारवार को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की मांग की थी।इसको लेकर कर्नाटक में विवाद शुरू हो गया था। कर्नाटक को तब मैसूर था। मैसूर के तत्कालीन CM एस. निजालिंग्पा, तत्कालीन PM इंदिरा गांदी और महाराष्ट्र के तत्कालीन CM वीपी नाइक इसके लिए तैयार हो गए थे।महाजन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वह बेलगाम को महाराष्ट्र में मिलाने की की अनुशंसा नहीं कर सकता। लेकिन बेलगावी से पांच किलोमीटर दूर बेलागुंडी गांव को आयोग ने महाराष्ट्र को सौंप दिया था।BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक तैयार था क्योंकि उसे 247 गांवों वाला बेलगावी मिल रहा था लेकिन उसे निप्पानी और खानापुर को खोने के कारण उसमें अंसतोष भी था।विवाद इतना गहराया कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में भी समस्या हल नहीं हो सकी। दोनों राज्य अपनी जगह ना छोड़ने और ना ही लेने की नीति पर कायम रहे और इसके चलते ही यह मुद्दा बार-बार सिर उठता रहता है।2004 में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक से 814 गांव दिलाने की मांग की थी। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है क्योंकि कर्नाटक मामले की सुनवाई में गैर-हाजिर रहकर जिरह से बचता रहा है।

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