आदिवासियों के विरोध का फायदा BJP को, कांग्रेस की सावित्री का नाम सुनकर इमोशनल हो रहे वोटर

रायपुर: जय हो वोटर देवता, भानुप्रतापपुर चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा कार्यकर्ता वोटर महिलाओं को प्रणाम करते हुए।भानुप्रतापपुर उपचुनाव को सत्ता के सेमीफाइनल के तौर पर लिया जा रहा है। क्योंकि ठीक एक साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले भी प्रदेश के उपचुनाव हुए मगर इस चुनाव में बाकियों के मुकाबले पॉलिटिकल ड्रामा अधिक है। भाजपा के प्रत्याशी पर यौन शोषण का आरोप है, कांग्रेस की प्रत्याशी को पति की मौत की वजह से पूरी सहानुभूति मिल रही है। इन सब के बीच इस चुनाव में ठंडी हवा देने वाला AC गर्मी बढ़ा रहा है, इस रिपोर्ट के जरिए समझिए भानुप्रतापपुर का पूरा सियासी माहौल।चुनाव प्रचार में वोटर के चरण स्पर्श करता भाजपा कार्यकर्ता।भानूप्रतापपुर इलाका कई गांवों को मिलाकर बना है। हर गांव की अपनी सियासी तासीर है। कहीं कांग्रेस के लिए साॅफ्ट कॉर्नर है तो कहीं भाजपा का झंडा बुलंद है। इस बार तो आदिवासी समाज सिर्फ अपनी और अपने लाेगों की बात भी कर रहा है। माना जा रहा है कि इसका पूरा फायदा भाजपा को मिलने जा रहा है।प्रचार करते ब्रम्हानंद नेताम।ऐसे होता दिख रहा भाजपा को फायदासाल 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना करते हुए आज के माहौल को समझें तो पता लगता है पिछली बार 45287 वोट हासिल करके भाजपा दूसरी पोजिशन पर रही। कांग्रेस को 72520 वोट मिले थे। भाजपा के लिए जीत का अंतर रहा करीब 27 हजार वोटांे का। इन 27 हजार लोगों ने भाजपा को न चुनकर कांग्रेस का बटन दबाया। माना जाता है कि भानुप्रतापपुर का आदिवासी बाहुल इलाका कांग्रेस के कब्जे में रहा है। अब इस बार गांव-गांव आरक्षण के मसले पर कांग्रेस भाजपा का विरोध हो रहा है।ग्रामीणों ने तय किया है भाजपा कांग्रेस का साथ नहीं देंगे।आदिवासियों का पारंपरिक वोट अधिकांश कांग्रेस के पास ही जाता रहा है। चूंकि इलाके में आदिवासी आरक्षण पर चुनावी आंदोलन छेड़े हुए हैं, माना जा रहा है कि इससे कांग्रेस के वोट कटेंगे। ये वोट भले कटकर भाजपा के खाते में सीधे न जाएं मगर इससे भाजपा के जीत के अंतर को कम करने में मदद जरूर मिलेगी, क्योंकि जो भाजपा के तय वोटर हैं वो तो वोट भाजपा को करेंगे, हो सकता है सियासी उठापटक वाले माहौल में जरा बढ़त भी भाजपा को मिले।साल 2018 विधानसभा चुनाव के नतीजें, किसे कितने मिले वोटप्रत्याशी का नामपार्टीवोटमनोज सिंह मंडावीइंडियन नेशनल कांग्रेस72520देवलाल दुग्गाभारतीय जनता पार्टी ्45827कोमल हुपेंडीआम आदमी पार्टी्9634मानक दरपट्‌टीजनता कांग्रेस9611नोटाइसमें से कोई नहीं4235सियारा परचापी ्गोंडवाना गंणतंत्र पार्टी2698श्याम लाल गावड़ेशिवसेना1699दुर्गा प्रसाद ठाकुरअंबेडकराइट पार्टी1565प्रचार के दौरान सावित्री मंडावी।सावित्री चाची आई हैं की टीम ने कांग्रेस की प्रत्याशी सावित्री मंडावी के चुनावी प्रचार को कवर किया। टीम सावित्री के काफिले के साथ देर शाम तक गांव-गांव में हो रहे प्रचार कार्यक्रम में मौजूद रही। गांवों में ये बात देखने में आई कि सावित्री मंडावी को लोग सावित्री चाची कहते हैं। सावित्री चाची आईं हैं ये सुनकर लोग उनसे मिलने पहुंच रहे हैं। गांव के बहुत से आदिवासी प्रमुखों को सावित्री भी जानती पहचानती हैं किसी को मामा कहती हैं, किसी को सियान कहकर उनके पैर छूती हैं। इनके पति मनोज मंडावी के निधन से ये सीट खाली हुई और उपचुनाव कराए जा रहे हैं।मोहन मरकाम भी प्रचार में जुटे हैं।भानुप्रतापपुर के गांवों में सावित्री मंडावी को लेकर इमोशनल माहौल है। आदिवासी ग्रामीण उन्हें सहारा देने के नाम पर वोट देने का मन बना रहे हैं। इसे ऐसे समझिए कि सावित्री मंडावी खुद भी जब लोगों से मिल रहीं हैं तो वो भाजपा को हराने की बात नहीं कह रहीं, वो कह रही हैं दुख की घड़ी है आप सभी का साथ चाहिए। सावित्री के समर्थक भी बता रहे हैं कि उन्होंने पति के देहांत के बाद टीचर की सरकारी नौकरी छोड़ दी। इन सब वजहों से भानुप्रतापपुर का वोटर कांग्रेस की प्रत्याशी से इमोशनली जुड़ता जा रहा है।अकबर कोर्राम आदिवासी समाज के प्रत्याशी।गर्मी बढ़ा रहा ACAC का नाम सुनते ही ठंडी हवा की कल्पना दिमाग में आती है। मगर भानुप्रतापपुर चुनाव में एक AC गर्मी बढ़ा रहा है। दरअसल AC सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर राम कोर्राम का चुनाव चिन्ह है। भाजपा और कांग्रेस के बाद यही एक ऐसे प्रत्याशी हैं जिनकी सबसे अधिक चर्चा है। आदिवासी समाज के लोग इन्हें जिताने का संकल्प ले रहे हैं। गांव-गांव शपथ के कार्यक्रम हो रहे हैं। कोर्राम पूर्व में बस्तर पुलिस में DIG पद से रिटायर हुए हैं। चूंकि आरक्षण का मुद्दा गर्माया है इसलिए बड़ा वर्ग इन्हें ही वोट करने का मन बना रहा है। कांग्रेस के पारंपरिक वोट इनके खाते में जाने के पूरे आसार हैं।भाजपा मान रही है उसे वोट मिलेगा।बलात्कार के हल्ले का गांवों में असर नहींभानुप्रतापुपर के भीतर बसे गांवों में आदिवासियों का जीवन खेती किसानी से जुड़ा है। सारा दिन आदिवासी इसी काम में व्यस्त रहते हैं। कांग्रेस की तरफ से भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम को लेकर उठाया गया यौन शोषण के मुद्दे की गूंज यहां उस तरह नहीं पहुंच रही जैसी कांग्रेस चाहती थी। शहरी इलाकों में इसकी चर्चा जरूर है। मीडिया कवरेज मिल रही है टेलीविजन पर डीबेट है मगर गांव में चर्चा सिर्फ आरक्षण की है । आदिवासी चेहरों (उपचुनाव के उम्मीदवारों) में से किसे सामाजिक आधार पर चुनना है इसपर ग्रामीण बात कर रहे हैं।भानुप्रतापपुर में 1 लाख 97 हजार वोटर हैं।यहां होता है 70-80 प्रतिशत मतदाननिर्वाचन आयोग के मुताबिक इस सीट पर हर बार 70-80% मतदान होता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में 77.25% मतदान हुआ था। जबकि विधानसभा निर्वाचन 2013 में इस क्षेत्र मे 79.26% लोगों ने मतदान किया था। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी इस क्षेत्र से 71.09% मतदान हुआ था।कांकेर से भानुप्रतापपुर को जोड़ने वाली सड़क खराब पड़ी है।युवाओं को चाहिए शिक्षा, और सड़कभानुप्रतापपुर में इस बार 3490 लोग सबसे यंग वोटर हैं। युवाओं के बीच यहां आस-पास की सड़ें, शिक्षा और रोजगार के साधन ही बड़ा मुद्दा हैं। यहां कुल मतदाताओं में से 18-19 वर्ष आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या 3 हजार 490 है। जिनमें एक हजार 840 पुरुष और एक हजार 650 महिलाएं हैं। यानी ये लोग पहली बार वोट डालने वाले हैं। इस क्षेत्र में 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या 1 हजार 875 है। जिनमें 640 पुरुष और एक हजार 235 महिलाएं हैं।युवा वोटर भी अहम भूमिका में होंगे।1.97 लाख वोटर सियासी दलों के भाग्य विधाता5 दिसंबर को यहां वोटिंग होगी। इस सीट के लिए 256 मतदान केंद्र बनाये गये हैं। जहां 1 लाख 97 हजार 535 मतदाता अपने वोट डालेंगे। यहां 69 केंद्र नक्सल प्रभावित इलाकों में हैं। इस बार यहां पांच संगवारी मतदान केंद्र बनाए जाने हैं जो पूरी तरह महिला मतदान कर्मियों से संचालित होंगे। वहीं पांच आदर्श मतदान केंद्र भी बनाए जाएंगे। बीते इन चार सालों में यहां 5 हजार 514 मतदाता बढ़े हैं।बस्तरिया कठपुतली संग चुनाव प्रचार।हर उपचुनाव कांग्रेस ने ही जीताप्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है हर उप चुनाव कांग्रेस ने जीता। साल 2018 में दंतेवाड़ा की सीट से भाजपा के भीमा मंडावी ने चुनाव जीता। मंडावी नक्सल हमले में मारे गए सितंबर 2019 में उप चुनाव हुआ। यहां दिग्गज कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा को जीत मिली। ये सीट अब कांग्रेस के पास है।साल 2019 में चित्रकोट में उपचुनाव हुए। क्योंकि यहां से कांग्रेस के चुने विधायक दीपक बैज को लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना पड़ा वो जीत गए ये सीट खाली हुई तो कांग्रेस के ही राजमन बेंजाम ने उप चुनाव जीता और विधायक बने।साल 2020 नवंबर में मरवाही में उप चुनाव हुए। यहां से विधायक रहे छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी की मौत के बाद जनता कांग्रेस से ये सीट कांग्रेस पास चली गई। कांग्रेस से केके ध्रुव को मौका मिला जीत गए। इसी साल 2022 में खैरागढ़ इस सीट से जकांछ के विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुआ कांग्रेस की यशोदा निलाम्बर वर्मा जीत गईं।

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