नई दिल्ली: दिल्ली सरकार, केंद्र की इस योजना के खिलाफ विरोध कर रही है। दिल्ली हाईकोर्ट में चल-अचल संपत्तियों को आधार से लिंक करने की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय को फटकार लगाते हुए कहा- उपाध्याय जी आपने महाभारत पढ़ी होगी। मैं संजय नहीं हूं, जिसे सबकुछ पता हो या जो सबकुछ देख सकता हो।दरअसल एडवोकेट उपाध्याय ने बेंच से दिल्ली सरकार को नोटिस देने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने यह कहते हुए टिप्पणी की कि वे डॉक्यूमेंट्स के अभाव में नोटिस जारी नहीं कर सकते।पहले पढ़िए क्या है पूरा मामलायाचिका एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी। जिसमें ये कहा गया था- आधार को लोगों की संपत्तियों से जोड़ा जाए तो भ्रष्टाचार में 25% की कमी आएगी। मामले की पिछली सुनवाई सितंबर में हुई थी। इसमें दिल्ली सरकार को अपना जवाब दाखिल करने 4 हफ्ते का समय दिया गया था। क्योंकि दिल्ली सरकार ने आधार से संपत्ति को जोड़ने का विरोध किया था।आज की सुनवाई में क्या हुआएडवोकेट उपाध्याय ने कोर्ट से कहा कि दिल्ली सरकार को अपना जवाब दाखिल करना था। इस पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि उन्होंने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। हालांकि, वही रिकॉर्ड में नहीं है। कोर्ट ने इसके वक्त दिया है और अगली सुनवाई 14 अप्रैल 2023 को रखी है।3 साल पहले की थी कानून बनाने की घोषणाकेंद्र सरकार ने 3 साल पहले यह मॉडल लागू करने की योजना तैयार की थी। जिसमें ये कहा गया था कि आधार से प्रॉपर्टी लिंक होने के बाद जमीन, मकान की खरीद-फरोख्त में फर्जीवाड़ा रोकने में आसानी होगी। ऐसा करने के बाद प्रॉपर्टी से कब्जा हटाना या मुआवजा देना सरकार की जिम्मेदारी होगी। वहीं यदि आधार लिंक नहीं कराया तो सरकार जिम्मेदारी नहीं लेगी। पढ़ें पूरी खबर…दिल्ली हाईकोर्ट से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…सहमति से संबंध बने तो कोई आधार कार्ड नहीं देखतादिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि अगर शारीरिक संबंध सहमति से बन रहे हैं तो अपने साथी की जन्मतिथि के न्यायिक सत्यापन की जरूरत नहीं होती। अदालत ने नाबालिग से कथित दुष्कर्म के मामले में एक व्यक्ति को जमानत देते हुए यह बात कही। लड़की खुद को नाबालिग बता रहा थी। पढ़ें पूरी खबर…अमिताभ के नाम, आवाज, फोटो के इस्तेमाल पर रोकदिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अमिताभ बच्चन का नाम, आवाज और फोटो को उनकी परमिशन के बिना इस्तेमाल पर रोक लगा दी। कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश उनकी एक याचिका पर दिया, जिसमें वे पब्लिसिटी और पर्सनैलिटी राइट्स चाहते थे। हाईकोर्ट ने सूचना-प्रसारण मंत्रालय और टेलिकॉम सर्विसेस को भी उनके बताए कंटेंट हटाने का आदेश दिया।
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