वाराणसी: एक मिनट पहलेलॉ फैकल्टी के सामने सड़क पर धरना दे रहे स्टूडेंट्स ने कहा कि दुर्भावनावश हमें एग्जाम में शामिल होने से रोका जा रहा है। हमारी मांग मान ली जाए तो हम धरना खत्म कर देंगे।काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की लॉ फैकल्टी के स्टूडेंट्स का धरना लगातार दो दिन से जारी है। आज छात्रों ने फैकल्टी के सामने की सड़क को ब्लॉक कर लोगों की आवाजाही रोक दी है। धरने पर बैठे छात्रों का कहना है कि उनकी अटेंडेंस पूरी कर उन्हें सेमेस्टर एग्जाम में शामिल होने दिया जाए। दुर्भावनावश उनके करियर के साथ खिलवाड़ न किया जाए। वह धरना तभी खत्म करेंगे जब उन्हें एग्जाम में शामिल होने का लिखित आश्वासन दिया जाएगा।100 स्टूडेंट्स की अटेंडेंस शॉर्ट कर दी गईलॉ फैकल्टी के सामने सड़क पर धरने पर बैठे स्टूडेंट्स ने कहा कि हमारे 100 साथियों की अटेंडेंस शॉर्ट कर दी गई है। वहीं, फैकल्टी के डीन का कहना है कि केवल 10 स्टूडेंट्स की अटेंडेंस शॉर्ट है। उन 10 स्टूडेंट्स के साथ धरने में उनके साथी बैठे हुए हैं।लॉ फैकल्टी के सामने सड़क पर धरने पर बैठे स्टूडेंट्स ने कहा कि जब तक उन्हें एग्जाम में शामिल होने का ठोस आश्वासन नहीं मिलेगा तब तक वह यहां से नहीं हटेंगे।स्टूडेंट्स ने कहा कि एक महीने फैकल्टी के अलग-अलग कोर्सेज के कई स्टूडेंट्स की अटेंडेंस कम थी, उनसे सिर्फ अंडरटेकिंग लेकर उन्हें एग्जाम में शामिल होने दिया गया। अब सभी कोर्सेज के लास्ट सेमेस्टर के स्टूडेंट्स को दुर्भावना के कारण एग्जाम में शामिल होने से रोका जा रहा है।महीने के कुछ विशेष दिनों में जो क्लास चलीं, उसी दौरान कुछ स्टूडेंट्स की पूरी अटेंडेंस मेंटेन कर दी गई। जो स्टूडेंट्स उन स्पेशल क्लास में नहीं आए थे, उनके पूरे महीने की अटेंडेंस शॉर्ट कर दी गई। फैकल्टी में अटेंडेंस की काउंटिंग का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। स्टूडेंट्स ने कहा कि हम मनमानी के खिलाफ धरना दे रहे हैं। हमारी समस्या का समाधान कर दिया जाए तो हम धरना तत्काल खत्म कर देंगे।धरने पर बैठे स्टूडेंट्स ने कहा कि लॉ फैकल्टी में अटेंडेंस की काउंटिंग का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। हम सभी मनमानी के खिलाफ धरना दे रहे हैं।धरने पर बैठे स्टूडेंट्स की मांगअटेंडेंस पूरी कर एग्जाम में बैठने का मौका दें। फ्यूचर के साथ खिलवाड़ न हो।बार काउंसिल ऑफ इंडिया के मानक के अनुसार क्लास में लेक्चर हों।प्रोफेसर के निजी कारणों से निरस्त हुई क्लास का नुकसान हमें न झेलना पड़े।
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