वर्करों के पीएफ का 7.73 करोड़ डकार गए 212 ठेकेदार, वसूली अब दुर्ग निगम से होगी

भिलाई: सफाई व सिविल का ठेका लेने  वाले 212 ठेकेदारों ने पीएफ फंड का 7.73  करोड़ रुपए डकार लिया है।दुर्ग निगम के पांच हजार से भी ज्यादा ठेका वर्करों के भविष्य निधि (पीएफ) में फिर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। सफाई व सिविल का ठेका लेने वाले 212 ठेकेदारों ने पीएफ फंड का 7.73 करोड़ रुपए डकार लिया है। ईपीएफ कमिश्नर से शिकायत के बाद हुई जांच में इसका खुलासा हुआ है। दुर्ग निगम में लंबे समय तक काम करने वाले इन ठेकेदारों में से किसी ने भी अपने किसी कर्मचारी के ईपीएफ खाते में एक रुपया भी जमा नहीं कराया है। ऐसे में परीक्षण करने के बाद ईपीएफ कमिश्नर विकास कुमार गुप्ता ने प्रमुख नियोक्ता होने के नाते दुर्ग निगम को 7.73 करोड़ रुपए जमा करने नोटिस जारी किया है।इसमें लगभग 6 करोड़ रुपए सफाई ठेका वर्कर और 1.73 करोड़ रुपए सिविल के ठेका वर्करों के हैं। 2016 के इन मामलों की सुनवाई लगभग पांच तक चली है। इस दौरान निगम अपने ठेकेदारों का कोई लेखा-जोखा तक नहीं दे पाया है, इसलिए वसूली की नोटिस उसको दी गई है। इसमें दुर्ग निगम आयुक्त प्रकाश कुमार सर्वे ने शीघ्र ईपीएफ कमिश्नर के आदेश को हाई-कोर्ट में चैलेंज करने कहा है। बताया कि वह निगम के एडवोकेट से चर्चा कर रहे हैं। उसके बाद कदम उठाएंगे।खुलासा : अफसरों की इन 2 गलतियों की वजह से निगम फंसा, ईपीएफ कमिश्नर ने भेजा नोटिस, दुर्ग नगर निगम जाएगा कोर्टईपीएफ के नियमों का पालन नहीं किए इलेक्ट्रानिक कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट देखा नहींईपीएफ एक्ट के प्रमुख नियोक्ता के लिए बने नियमों का पालन नहीं करने के कारण दुर्ग निगम फंसा है। क्योंकि निगम अफसरों ने अपने ठेकेदार को भुगतान करने से पहले उसके कर्मचारियों का ईपीएफ ईसीआर (इलेक्ट्रानिक कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट) नहीं मांगा है। जबकि इस रिपोर्ट के लिए बगैर भुगतान नहीं करने के नियम बनाए गए हैं।ईपीएफ के नियमों का पालन नहीं किए इलेक्ट्रानिक कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट देखा नहींईपीएफ की इलेक्ट्रानिक कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट में ठेकेदार द्वारा कर्मियों के पीएफ अंशदान का पूरा लेखा-जोखा रहता है। ठेकेदार ने किस कर्मचारी के पीएफ खाते में कब कितना जमा किया, सबकुछ लिखा रहता है। ठेकेदार कहां गड़बड़ी कर रहा, इस रिपोर्ट से उसकी पूरी जानकारी मिल जाती है। घर बैठे ठेकेदार अपने ईपीएफ खाते से इसे निकालता है।जानिए, ठेकेदारों की देनदारी का निगम से वसूली क्यों हो रहीप्रदेश के सभी नगरीय निकाय व निगम पर भविष्य निधि अधिनियम 2009 से लागू है। इसके तहत हर निगम ठेकेदार को अपने वर्करों का कर्मचारी भविष्य निधि खाता खोलना व अंशदान जमा करना होता है। संबंधित ठेकेदार से उसके कर्मचारियों का ईपीएफ जमा कराना निगम की जिम्मेदारी होती है।पहले भी खाता सीज कर वसूली हो चुकी फिर भी नहीं चेते निगम अधिकारीईपीएफ कमिश्नर ने हाल ही दुर्ग निगम का खाता सीज कर लगभग 1.93 करोड़ रुपए वसूला है। इसके बाद भी निगम के अफसर अपनी गलतियों से सबक नहीं लिए हैं। उनकी इन गलतियों से बार-बार निगम को आर्थिक चपत लग रही है। एक साल के भीतर दूसरी बार ऐसी कार्रवाई की नौबत आई है। फिर भी कोई सबक नहीं लिया।शिकायत करने वाले ने कहा-कर्मचारियों के साथ किया गया धोखादुर्ग निगम में कर्मचारियों के पीएफ की राशि डकारने के अधिकतर मामले की शिकायत सफाई कामगार मजदूर संघ के प्रदेशाध्यक्ष वाल्मीकि सिंह ने की है। उनका कहना है कि निगम प्रशासन ठेका मजदूरों के हित को ताक पर रख रहा है। निगम को चूना लगाने वाले अफसरों और ठेकेदारों पर कार्रवाई नहीं करते।चिंता.. हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली तो वसूली की राशि और बढ़ जाएगीचिंता वाली बात यह कि ईपीएफ कमिश्नर के आदेश के विरुद्ध अपील में फैसला अपीलकर्ता के पक्ष में नहीं आने पर ईपीएफ कमिश्नर को पेनाल्टी लगाने का अधिकार मिल जाता है। इसमें वह संबंधित के विरुद्ध 10 % से लेकर 30 % तक हो सकती है। अपील के बाद इसकी पूरी संभावना है।ईपीएफ कमिश्नर का नोटिस मिला है, हाईकोर्ट में अपील करेंगेईपीएफ कमिश्नर ने हमें नोटिस जारी किया है। करीब 7.73 करोड़ रुपए जमा करने कहा है। ठेकेदारों के हिस्से की राशि निगम से मांगी जा रही है। नोटिस मिलने के बाद मैने निगम के अधिवक्ता से बात की है। शीघ्र ही हम उनके आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय, बिलासपुर में अपील करेंगे। -प्रकाश कुमार सर्वे, आयुक्त नगर निगम दुर्ग।

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