जैसलमेर। लंपी स्किन डीजीज में रिक्त पदों की मार झेल रहा जैसलमेर का पशु चिकित्सालय।जैसलमेर में पिछले 4 महीनों से पशुओं में फैली लंपी बीमारी से 1 हजार से भी ज्यादा गोवंश अपनी जान गंवा चुका है, मगर सरकार इस बीमारी को लेकर अभी तक गंभीर नहीं हुई है। 10 लाख से भी ज्यादा पशुओं के जिले में फैली लाइलाज बीमारी में पशुपालन विभाग रिक्त पदों की मार झेल रहा है। ऐसे में केरल राज्य जितने क्षेत्रफल वाले इस जिले में बिना कर्मचारियों के पशुओं को मरने से कैसे बचाएगा विभाग। दरअसल पशुपालन विभाग में 272 अधिकारियों और कर्मचारियों के पद है, मगर काम केवल 88 लोग ही कर रहे हैं, और 184 पद खाली है। ऐसे में जिले में बैठे पशुपालन विभाग के अधिकारियों के सामने इस बीमारी से लड़ना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।रिक्त पदों के चलते पशु डॉक्टरों के दरवाजे पर लगे तालेरिक्त पदों की मार झेल रहा पशुपालन विभागपशुपालन विभाग के सीनियर पशु डॉक्टर उमेश ने बताया कि जिले में लंपी बीमारी का कहर है लेकिन हम लोग रिक्त पदों की वजह से बिना मेन पावर के कैसे काम करें। उन्होंने बताया कि विभाग में लंबे समय से पद रिक्त है, यहां तक कि निदेशक का ही पद रिक्त है जबकि सबसे ज्यादा लंपी का कहर जैसलमेर जिले मे ही है। उन्होंने बताया कि जिले में स्वीकृत 124 पशु चिकित्सा केंद्र में से 75 केंद्रों पर ताला लगा हुआ है। वहीं डॉक्टरों व कर्मचारियों के स्वीकृत 272 पदों में 184 पद रिक्त चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि कम मेन पावर के चलते भी हमने इस बीमारी से निजात दिलाने के लिए बेहतर प्रयास कर रहे हैं लेकिन बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।अप्रैल में ही आ गया था लंपी रोगजैसलमेर जिले में लक्षणों के आधार पर अप्रैल महीने के पहले हफ्ते में लम्पी स्किन डिजीज बीमारी का मामला सामने आया था। जिसके बाद से गायों में ये बीमारी तेजी से फैलती गई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले में अब तक 200 से ज्यादा गायों कि मौत हुई है जबकि जिले भर में गायों के मरने के आंकड़े 1 हजार से भी ज्यादा के हैं। ऐसे में बिना मेन पावर के कैसे इस बीमारी में पशुओं की मौतों पर रोकथाम लग पाएगी।
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