कुपोषित बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं की सेहत के लिए शुरू हुआ महाअभियान, दिव्यांग प्रमाण पत्र दिए जाएंगे
प्रतापगढ़: राजस्थान के दक्षिणांचल स्थित मध्य प्रदेश की सीमा से लगे प्रतापगढ़ जिले में बीमार कुपोषित बच्चों और गर्भवती माताओं की सेहत के लिए महा अभियान की शुरुआत की गई है। जिला कलक्टर के निरोगी राजस्थान अभियान के तहत इस नवाचार में तीन विभागों का प्रशासन की अगुवाई में एनीमिया रोग से मुक्त करने का महा अभियान शुरू किया गया है।तीन अलग-अलग चरणों होगा पूराजिले में एनीमिया मुक्त राजस्थान अभियान के तहत चिकित्सा, शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। योजना को तीन अलग-अलग चरणों में विस्तार से पूरा किया जाएगा। जिसमें खून की कमी की समस्या से जूझने वाले बच्चे, गर्भवती व धात्री महिलाएं, जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों का निशुल्क उपचार, स्वास्थ्य शिक्षा, दिव्यांग बच्चों की पहचान और प्रमाण-पत्र जारी करने का काम प्रमुख रूप से किया जाएगा।बीमार बच्चों का किया जाएगा इलाजजिला कलेक्टर सौरभ स्वामी ने बताया कि प्रतापगढ़ जिले की बड़ी आबादी कुपोषण और एनीमिया की बीमारी की जद से बाहर नहीं निकल पा रही है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से शुरू किया गया। एनीमिया मुक्त राजस्थान अभियान के बैनर तले इसमें बीमार बच्चों और जन्मजात बीमारियों के साथ जूझने वालों का पूरा इलाज किया जाएगा।उन्होंने बताया कि वर्तमान में मंगलवार को शक्ति दिवस के रूप में बनाया जा रहा है। ऐसे में इस कार्यक्रम में एक मुहिम चलाकर एनीमिया मुक्त प्रतापगढ़ अभियान को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। सबसे पहले विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ ही गांव-गांव एनीमिया, कुपोषण और जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्चों और गर्भवती माताओं की स्क्रीनिंग कर उनकी पहचान की जाएगी। इसके बाद जो डेटा मिलेगा, मेडिकल एक्पर्ट की राय के अनुसार उपचार, दवाइयां और काउंसिलिंग की जाएगी। तीसरे चरण में स्क्रीनिंग डेटा, रिकवर हुए लोगों का विश्लेषण किया जाएगा और इसके रिजल्ट को परखा जाएगा।अभियान की यह रहेगी रूपरेखापहचान और स्क्रीनिंग अभियान के पहले चरण में 6 माह से लेकर 19 साल तक के विद्यालयों में जाने वाले व नहीं जाने वाले सभी बालक-बालिकाओं के हीमोग्लोबिन की जांच की जाएगी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में उल्लेखित बीमारियों की जांच कर पात्रों की खोज की जाएगी। विद्यालयों में निरीक्षण के दौरान खाने, पानी और साफ सफाई की गुणवत्ता की भी जांच की जाएगी।द्वितीय चरण में स्क्रीनिंग अभियान के द्वितीय चरण में प्राप्त डेटा की जांच की जाएगी एवं सभी पात्र पाए गए बच्चों, बच्चियों एवं महिलाओं का एनिमिया का उपचार किया जाएगा। जिसमें मामले के गंभीरताओं के आधार पर उनके उपचार का कार्यक्रम बनाया जाएगा। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में पात्र छात्र-छात्राओं का चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत उपचारित किया जाएगा। विशेष योग्य जन श्रेणी में पात्रों को दिव्यांग प्रमाण पत्र भी जारी कराए जाएंगे।अभियान के अंतिम एवं तृतीय चरण में एक बार पुनः सभी बच्चों, बच्चियों एवं महिलाओं की स्क्रीनिंग की जाएगी और किए जा रहे उपचार के प्रभाव का निरीक्षण किया जाएगा।इन मुद्दों पर होगा कामअभियान में स्वास्थ्य गतिविधियों, एनीमिया और कुपोषण से जूझने वालों को उपचार की संजीवनी मिलेगी। अभियान में जटिल सर्जरी के लायक बच्चों को ढूंढ कर इलाज चलेगा, दिव्यांग बच्चों को प्रमाण पत्र मिलेंगे, स्वास्थ्य और शिक्षा के पोषण वाटिका की जानकारी, चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की जानकारी और पंजीकरण सहित विभिन्न गतिविधियों के माध्यम जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के एनीमिया मुक्त प्रतापगढ़ अभियान में जुड़कर सहयोग प्रदान करेंगे।
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