जयपुर: हाईकोर्ट ने CS और लॉ सेक्रेट्री से किया जवाब-तलबराजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में पॉक्सो एक्ट के तहत पेंडिंग केसेज के जल्द निपटारे लिए सभी जिलों में उचित संख्या में स्पेशल कोर्ट्स नहीं खोलने पर चीफ सेक्रेट्री, प्रमुख लॉ सेक्रेट्री को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। CJ एसएस शिंदे और जस्टिस अनूप ढ़ंड की डिविजनल बेंच ने एडवोकेट कुणाल रावत की PIL (जनहित याचिका) पर यह आदेश दिए। याचिका में पोक्सो की और कोर्ट खोलने, नाबालिग रेप पीड़िताओं के केसेज की टाइम बाउंड सुनवाई करने, बच्चों को सेक्सुअल क्राइम के बारे में अवेयर और एजुकेट करने की मांग उठाई गई है।कुणाल रावत, सीनियर एडवोकेट,राजस्थान हाईकोर्ट।अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगीएडवोकेट कुणाल रावत ने को जानकारी देते हुए बताया कि याचिका पर मंगलवार को पहली तारीख पड़ी। याचिका में मुख्य तौर पर कहा गया है कि पोक्सो कोर्ट और ज्यादा खोली जानी चाहिए। प्रदेश के कुछ जिलों को छोड़कर सभी जिलों में पोस्को कोर्ट नहीं हैं। 12 साल से कम उम्र के बच्चों का अलग से ट्रायल हो और उससे ऊपर की उम्र के नाबालिग बच्चों का अलग ट्रायल होना चाहिए। क्योंकि दोनों तरह के बच्चों के शारीरिक मानसिक लेवल में फर्क होता है। राज्य सरकार बच्चों को एजुकेट करने का काम भी करे। क्योंकि स्कूली बच्चे बस, ऑटो, वैन में स्कूल आते-जाते हैं। उन्हें गुड टच और बैड टच की जानकारी होनी चाहिए। उनके साथ कोई घटना होती है, तो उन्हें क्या करना है। इसका जागरुकता का काम सरकार को करना चाहिए। साथ ही कोर्ट से कहा गया कि हाईकोर्ट में पोक्सो केसेज की अपीलों पर अलग से बेंच बनाकर टाइम बाउंड सुनवाई की जाए। सरकार की ओर से AAG गणेश मीणा पेश हुए। उन्हें कोर्ट ने याचिका की कॉपी दिलवाई। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी। याचिका पर सरकार की ओर से जवाब भी दिया जाएगा।2 साल में 11307 नाबालिगों से दुष्कर्म, कोर्ट्स की संख्या नाकाफीयाचिका में कहा गया है कि प्रदेश में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों सहित नाबालिगों के साथ रेप-दुष्कर्म के मामले लगातार बढ़े हैं। NCRB आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में दुष्कर्म के अपराध सबसे ज्यादा हुए हैं। पिछले 2 साल के दौरान 11307 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म की घटना हुई है। लेकिन पोक्सो केसों की सुनवाई के लिए मौजूदा कोर्ट की संख्या नाकाफी है। कोर्ट्स कम होने के कारण पॉक्सो मामलों के निपटारे में वक्त लग रहा है। केसों की पेंडेंसी बढ़ रही है। पेंडिंग केसों को देखते हुए 150 से भी ज्यादा पॉक्सो कोर्ट खोलने की जरूरत महसूस होती है। कोर्ट में कहा गया कि कई पॉक्सो कोर्ट में नाबालिगों के अलावा बालिगों के मामलों को भी सुनवाई के लिए भेजा जा रहा है। इससे भी नाबालिग पीड़िताओं और बच्चों को न्याय मिलने में देरी हो रही है। मौजूदा पॉक्सो कोर्ट्स में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर और फैसिलिटीज की कमी है। यह उन पीड़िताओं और बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है।
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