प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई संसद भवन के छत पर बने अशोक स्तंभ का सोमवार को उद्घाटन किया गया। इसके बाद से ही यह विपक्षी दलों के निशाने पर आ गया है। असल में विपक्षी दल नए अशोक स्तंभ पर बने चारों शेरों की डिजाइन पर सवाल उठा रहे हैं। इसके मुताबिक इन शेरों का मुंह आक्रामक ढंग से खुला हुआ है, जबकि सारनाथ में बने मूल अशोक की लाट पर जो शेर बने हैं, उनका मुंह बंद है। राष्ट्रीय जनता दल ने इसको लेकर कहा है कि मूल अशोक स्तंभ के चारों शेरों के चेहरे पर सौम्यता का भाव है। जबकि अमृतकाल में बने अशोक स्तंभ के शेरों के चेहरे पर सबकुछ निगल लेने का भाव है। आरजेडी द्वारा किए गए ट्वीट में लिखा है कि हर प्रतीक चिन्ह, इंसान की आंतरिक सोच को प्रदर्शित करता है। इंसान प्रतीकों से आमजन को दिखाता है कि उसकी फितरत क्या है। इस ट्वीट के साथ नए और पुराने अशोक के स्तंभ की तस्वीर भी लगी हुई है। वहीं वरिष्ठ वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने मूल अशोक स्तंभ पर बने सिंहों को महात्मा गांधी के जैसा शांत और शानदार बताया है। वहीं नए संसद भवन पर बने सिंहों को गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के जैसा बताया है।
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