गुना: कच्चा मकान गिरने से गृहस्थी का सामान मलबे में दब गया।शहर की ढीमर कॉलोनी में देर रात एक बड़ा हादसा हो गया। बारिश की वजह से एक कच्चा मकान भरभराकर गिर गया। कमरों में सो रहे 7 लोग इसमे दब गए। बमुश्किल पड़ोसियों की मदद से सभी को बाहर निकाला जा सका। इसमे एक 6 वर्ष के बच्चे सहित 5 लोग घायल हो गए। पुलिस की मदद से घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। बच्चे की हालत गंभीर बताई जा रही है। उसे भोपाल रैफर करने की तैयारी चल रही है।शीतला माता मंदिर के पास ढीमर कॉलोनी में राजाराम केवट(61) का परिवार रहता है। 75 वर्षों से उनका परिवार इसी मकान में रह रहा है। 4-5 कमरों का कच्चा मकान है। एक हिस्से में राजाराम केवट अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। दूसरे हिस्से में उनके बड़े भाई का बेटा कान्हा(50) अपनी पत्नी और 5 बच्चों के साथ रहता है। दो कमरों में कान्हा के परिवार रहता है। कान्हा मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं।देर रात गिरा मकानकान्हा की बेटी पाली केवट ने बताया कि रात को सभी लोग खाना खाकर सो गए। वह करीब 12 बजे के आस-पास वॉशरूम से आई और लेट गयी। इसी दौरान उसके ऊपर मिट्टी के कुछ कण गिरे। उसने अपनी आंखें बंद कर लीं। इतने में ही पूरा छज्जा भरभराकर गिर गए। कमरे में सो रहे 7 लोग इसमे दब गए। कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले ही पूरा मकान गिर पड़ा। चारों तरफ चीख-पुकार मच गई। आवाज सुनकर पड़ोसी और परिवार के बाकी लोग गए। उन्होंने सभी को बाहर निकलवाया।छत पर लगे टीन नीचे गिर गए।बच्चा गंभीर घायलहादसे में 5 लोग घायल हुए हैं। इनमे कान्हा केवट, उनकी पत्नी रुक्मणि(48), बड़ी बेटी पाली, सबसे बड़ी बेटी और उसका बच्चा वंश(6) शामिल हैं। सबसे ज्यादा चोट वंश को आई है। उसके दिमाग में क्लोटिंग हुई है। उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। सूचना पर से मौके पर पुलिस भी पहुंच गई। सभी को पुलिस वैन से जिला अस्पताल लाया गया। यहां डॉक्टरों ने वंश को भोपाल रैफर कर दिया। बाकी सभी घायलों का इलाज ट्रामा सेंटर में किया जा रहा है।हादसे में 6 वर्षीय बच्चा वंशी गंभीर रूप से घायल हो गया।75 वर्षों में नहीं मिला पक्का मकानराजाराम ने बताया कि कई बार वह PM आवास के लिए नगरपालिका में आवेदन दे चुके हैं, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिलता है। अब तक आवास नहीं मिल सका है। नपा कर्मचारियों ने कई बार दस्तावेज ले लिए। अभी 15-20 दिन पहले भी उन्हें अपने घर की स्थिति से अवगत कराया, लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया। बोले कि अब बरसात के बाद ही आवास स्वीकृत हो पायेगा।मलबे में दबी गृहस्थी की टीम रात 1:20 बजे ढीमर मोहल्ले में पहुंची। शीतला माता मंदिर के बायीं ओर ढीमर मोहल्ला बसा है। घरों तक पहुंचने के लिए एक 3 फीट की संकरी गली है। राजाराम मुख्य सड़क पर ही मिल गए। वह उसी तीन फीट की गली से भास्कर की टीम को लेकर मलबे में तब्दील हो चुका मकान दिखाने ले गए। लगभग 50 मीटर के रास्ते मे 3-4 कच्चे मकान दिखे। पूरा मोहल्ला रात 1:30 बजे भी जाग रहा है। अधिकतर औरतें अपने घरों के बाहर बैठी हैं और सभी हादसे के बारे में बात कर रही हैं। जब टीम राजाराम के घर पर पहुंची तो वहां केवल मकान का मलबा मिला। चार दीवारों में से दो दीवारें ढह चुकी थीं। लकड़ियों पर लोहे के टीन रखकर छत बनाई गई थी, जो बारिश के कारण टीन सहित गिर गयी। बर्तन, बिस्तर, खाना बनाने का सामान मलबे में दब चुका था। राजाराम दुखी मन से सारा हाल बता रहे। उन्होंने एक-एक करके बताया को यहां ये बच्चा लेटा था, वहां वो बच्चा सो रहा था। कुछ तो अभी कच्ची नींद में ही थे। इसी दौरान हादसा हो गया। घर के बाकी हिस्से की भी यही हालत है। बारिश से बचने के लिए छतों पर प्लास्टिक की बरसाती चढ़ाई हुई है। दीवारों से पानी रिसता है। हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है। आवास मिल जाता तो वह भी सुरक्षित नींद ले सके और अपना जीवन-यापन सही से कर सकते।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.