मीडिया ऑफिस में AK-47 की गोलियां और पिस्टल! जम्मू में कश्मीर टाइम्स के ऑफिस पर रेड, सुरक्षा एजेंसियां हैरान
जम्मू में कश्मीर टाइम्स के ऑफिस में स्टेट इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी (SIA) ने गुरुवार रेड की. एजेंसी ने छापेमारी में हथियार बरामद किए हैं. रेड के दौरान AK-47 की गोलियां, पिस्टल और ग्रेनेड का लिवर बरामद हुआ है. एजेंसी के अनुसार, SIA ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता और आतंकवादी विचारधाराओं का समर्थन करने के आरोप में कश्मीर टाइम्स अखबार के जम्मू स्थित मुख्य कार्यालय पर छापा मारा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकार वेद भसीन द्वारा संचालित कश्मीर टाइम्स ने कुछ समय से जम्मू से अपने प्रिंट संस्करण का प्रकाशन बंद कर दिया है और अब यह मुख्य रूप से ऑनलाइन ही संचालित होता है. भसीन के निधन के बाद उनकी बेटी अनुराधा भसीन और उनके पति प्रबोध जामवाल ने अखबार की बागडोर संभाली थी. हालांकि, दोनों अमेरिका चले गए हैं और पिछले कुछ सालों से वहीं रह रहे हैं. इसकी वेबसाइट पर प्रबोध को संपादक और अनुराधा को प्रबंध संपादक बताया गया है.
पहले FIR और अब छापेमारी
छापेमारी सुबह करीब छह बजे शुरू हुई और SIA अधिकारियों ने अखबार के प्रबंधक संजीव केरनी को कार्यालय खोलने के लिए उनके घर से बुलाया. जानकारी के मुताबिक इस न्यूजपेपर के खिलाफ कुछ दिन पहले एक FIR दर्ज की गई है, जिस मामले में जांच की जा रही है.
बता दें कि इससे पहले कश्मीर टाइम्स न्यूज पेपर के जम्मू और कश्मीर दफ्तर में देश विरोधी कंटेंट लिखने पर छापेमारी होती रही है. फिलहाल ये पेपर पिछले कुछ महीनों से छपने बंद है. बता दें कि दिल्ली में 10 नवंबर के बाद ब्लास्ट से जम्मू समेत कई शहरों में छापेमारी चल रही है. पुलिस अब तक कई लोगों को हिरासत में ले चुकी है. उनसे पूछताछ की जा रही है. पुलिस की जांच का केंद्र फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी है. डॉक्टर उमर, डॉ आदिल, डॉ मुजम्मिल और डॉ शाहीन के लिंक इस यूनिवर्सिटी से मिले, जिसके बाद पुलिस ने हाल ही में यहां छापेमारी की थी.
कश्मीर टाइम्स ने क्या कहा?
रेड पर कश्मीर टाइम्स ने कहा कि हमारे कार्यालय पर सुनियोजित कार्रवाई हमें चुप कराने की एक और कोशिश है. सरकार की आलोचना करना राज्य विरोधी होने के समान नहीं है. वास्तव में, यह बिल्कुल विपरीत है. एक मज़बूत और सवाल उठाने वाला प्रेस एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ज़रूरी है. सत्ता को जवाबदेह ठहराने, भ्रष्टाचार की जांच करने और हाशिए पर पड़ी आवाज़ों को बुलंद करने का हमारा काम हमारे देश को मज़बूत करता है, कमज़ोर नहीं करता.
हमें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि हम यह काम जारी रखे हुए हैं. ऐसे दौर में जब आलोचनात्मक आवाज़ें लगातार कम होती जा रही हैं, हम उन चंद स्वतंत्र माध्यमों में से एक हैं जो सत्ता के सामने सच बोलने को तैयार हैं.