विदिशा : विदिशा जिले की लटेरी जनपद के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत दनवास में ग्रामीणों ने घोटाले का आरोप लगाया है. ग्रामीणों ने विदिशा कलेक्टर से इस मामले में शिकायत की. ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच और सचिव ने बुजुर्गों और दिव्यांगों को भी मनरेगा में मजदूर बताकर राशि हड़पी है. पिछले 3 वर्षों में ग्राम पंचायत में घोटाले हो रहे हैं. इस मामले की जांच के आदेश एसडीएम ने दिए हैं.
बने बनाए रोड को फिर से बनाने की तैयारी
ग्रामीणों का कहना है “ग्राम पंचायत दनवास के अंतर्गत आने वाले मामखेड़ी गांव में पहले से बने कांक्रीट रोड पर ही दोबारा नवीन रोड निर्माण के नाम पर लाखों रुपए निकाले गए. पंचायत में शांतिधाम पर मरम्मत के नाम लाखों रुपए निकाले गए. लेकिन कोई मरम्मत नहीं की गई. यहां से थोड़ी आगे कंक्रीट रोड का निर्माण दिखाया जा रहा है. एक दिन पहले से ही इस रोड का काम चालू हुआ है.”
शिकायत होते ही रोड बनाने की सामग्री भेजी
ग्रामीणों का कहना है “कलेक्ट्रेट में हुई शिकायत के बाद आनन-फानन में सरपंच-सचिव ने निर्माण दिखाने के लिए काम चालू किया है. रोड बनाने की सामग्री बहुत ही घटिया. रेत में मिट्टी की मात्रा बहुत ज्यादा है. जिस जगह पर रोड की अधिक आवश्यकता थी, वहां पर सड़क का निर्माण नहीं किया जा रहा. सार्वजनिक जगह पर तालाब निर्माण के नाम पर लाखों रुपए की राशि निकाली है.
यह जमीन निजी रकबा है, जिसे पंचायत के कार्यों में सार्वजनिक दिखाया गया है. यहां से आगे एक और तालाब का निर्माण किया गया है, जो निजी जमीन में है. अमृत सरोवर तालाब बनाने में खानापूर्ति करके पूरी 20 लाख रुपए की राशि हड़प ली गई.”
चेक डैम भी निजी जमीन पर बने दिखाए
ग्रामीणों का आरोप है “इसके अलावा पंचायत में सार्वजनिक ग्रेवियन चेक डैम के नाम पर भी भ्रष्टाचार किया गया है. पंचायत में करीब 5 डेम बनाए जाना थे लेकिन एक ही दिखाई दे रहा है. वह भी कुछ पत्थर और जाली डालकर घटिया निर्माण कर सरपंच-सचिव द्वारा पैसे निकाल लिए गए.”

दनवास के जितेंद्र धाकड़ और धर्मवीर सिंह राजपूत ने बताया “वर्ष 2022 से 2025 तक के बीच सरपंच-सचिव ने फर्जीवाडा कर 20 लाख रुपए और मनरेगा की मद से लगभग 35 लाख रुपए का घोटाला किया है.”
दिव्यांगों को मजदूर बताकर राशि हड़पी
गांव की शांति बाई मोंगिया पति खुमान सिंह मोंगिया दिव्यांग हैं और उन्हें दिव्यांग पेंशन भी मिलती है लेकिन मनरेगा रिकॉर्ड में उन्हें बैंक खाते में 95 दिवस की मजदूरी के रूप में 20 हजार 900 रुपए डालना बताया गया. इसी तरह गेंदा खेरुआ को वृद्धावस्था पेंशन मिलती है, लेकिन उन्हें मजदूर बताकर बुजुर्ग के खाते में 98 दिवस की मजदूरी के रूप में 21 हजार 600 रुपए की राशि डाली गई.
इसके अलावा काशीराम गुर्जर वृद्धावस्था पेंशन ले रहे हैं लेकिन उनके खाते से 90 दिन की मजदूरी के रूप में 19 हजार 800 रुपए डाले गए हैं.
एसडीएम ने एक हफ्ते में मांगी जांच रिपोर्ट
इस मामले में अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी पंकज जैन का कहना है “ग्रामीणों की शिकायत पर टीम बनाकर जांच करने के आदेश दिए गए हैं. टीम में तहसीलदार, सीईओ जनपद पंचायत और जनपद के इंजीनियर हैं. एसडीएम नितिन जैन का कहना है “एक हफ्ते के अंदर जांच टीम को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने समय दिया है.”