सिवनी: मध्य प्रदेश के सिवनी पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन में कबाड़ के जुगाड़ से दुनिया का सबसे बड़ा बाघ का स्टेच्यू बनाया है. जिसका अनावरण बुधवार को मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने किया है. पेंच टाइगर रिजर्व का दावा है कि अब तक सबसे बड़ी बाघ की मूर्ति अमेरिका के जॉर्जिया प्रांत में थी लेकिन अब उससे बड़ी प्रतिमा कबाड़ के जुगाड़ से पेंच टाइगर रिजर्व प्रबंधन के द्वारा तैयार करवाई गई है.
अमेरिका को पछाड़कर बनाया सबसे बड़ा बाघ का स्टेच्यू
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिवनी में आयोजित कार्यक्रम में सिंगल क्लिक से पेंच टाइगर रिजर्व के खवासा पर्यटन गेट पर लोहे के कबाड़ से बनाई गई 40 फीट लंबी, 8 फीट चौड़ी और 17.5 फीट ऊंची बाघ की मूर्ति का अनावरण किया. पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार ने बताया कि ”इंटरनेट में उपलब्ध वर्ल्ड रिकार्ड एकेडमी के अनुसार दुनिया में सबसे बड़ी बाघ की मूर्ति अब तक अमेरिका के जॉर्जिया राज्य में है, जो 8 फिट ऊंची और 14 फिट लंबी है. जबकि इस लिहाज से अब सबसे बड़ी आकृति का तमगा हमारे पास है.
”मिशन लाइफ के तीन सूत्रों पर बनाई गई आकृति
पेंच टाइगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश कुमार ने बताया कि, ”मिशन लाइफ के अंतर्गत पीएम द्वारा तीन आर (3R) सूत्रों, रिड्यूस (Reduce), रियूस (Ruse) एवं रिसाईकल (Recycle) के भावना के अंतर्गत पेंच टाइगर रिजर्व में लोहे के स्क्रैप मटेरियल से दुनिया की सबसे बड़ी बाघ प्रतिमा का निर्माण किया गया है. जनवरी में लोहे के अनुपयोगी सामग्रियों जैसे पुरानी साइकिल, पाइप, जंग लगी लोहे की चादरें जैसी कई सामग्रियों से प्रतिमा का निर्माण प्रारम्भ किया गया था.
मेक इन इंडिया के लोगों से मिली थी प्रेरणा
पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि, ”प्रधानमंत्री ने मेक इन इंडिया का प्रतीक चिन्ह एक शेर को बनाया था और वह सिंह भी लोहे के कबाड़ से बना डिजाइन था. उसी से प्रेरणा लेकर लोहे के स्क्रैप मटेरियल के इस बाघ की कलाकृति बनाने का प्लान किया गया था.”
सामूहिक प्रयासों की मिसाल है मूर्ति
पेंच टाइगर रिजर्व प्रबंधन का कहना है कि, जो कभी कबाड़ था, आज वही 40 फीट का बल, 17.5 फीट की गरिमा और 8 फीट के गर्व के रूप में खड़ा है. खवासा गेट पर स्थानीय कलाकारों के साथ ऋषभ कश्यप के नेतृत्व में और वनकर्मियों के सहयोग से तैयार, कबाड़ से निर्मित विशाल बाघ मात्र एक मूर्ति नहीं, यह सामूहिक प्रयास की शक्ति का प्रतीक है. जिस प्रकार लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों ने मिलकर इस विशाल बाघ को आकार दिया, उसी प्रकार स्थानीय समुदायों, वन विभाग के कर्मचारियों, अधिकारियों और नागरिकों के छोटे-छोटे प्रयास मिलकर ही संरक्षण की महान कहानी रचते हैं.
12 नवम्बर को मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा अनावरित यह अद्भुत सृजन हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के लिए सच्चे मन से उठाया गया एक छोटा कदम भी आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी विरासत बन सकता है.