दिल्ली दंगा: सत्ता परिवर्तन की ‘खूनी साज़िश’! पुलिस के खुलासे ने राजनीतिक गलियारों में मचाया हड़कंप दिल्ली/NCR By Nayan Datt On Oct 30, 2025 2020 के दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है. पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को यह बताया है कि राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा कोई अचानक भड़की हुई हिंसा नहीं थी, बल्कि भारत की संप्रभुता को कमज़ोर करने के उद्देश्य से एक संगठित सत्ता परिवर्तन अभियान का हिस्सा थी. यह भी पढ़ें दिल्ली दंगा: SC ने टाली उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई,… Oct 31, 2025 दिल्ली मेट्रो का बड़ा कदम: छठ पर्व के बाद लौटने वालों के लिए… Oct 30, 2025 यह खुलासा 177 पन्नों के एक हलफनामे में किया गया है, जो छात्र नेता उमर खालिद और शरजील इमाम सहित कई आरोपियों की ज़मानत याचिकाओं के जवाब में दायर किया जा रहा है. ‘गहरी साजिश का नतीजा’ पुलिस के तर्क के अनुसार, जांचकर्ताओं ने प्रत्यक्षदर्शी और तकनीकी साक्ष्यों को जोड़कर यह साबित किया है कि दंगे सांप्रदायिक आधार पर रची गई एक गहरी साज़िश का नतीजा थे. हलफनामे में कहा गया है, यह योजना नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के ख़िलाफ़ जन असंतोष को हथियार बनाने और भारत की संप्रभुता और अखंडता पर प्रहार करने के लिए बनाई गई थी. पुलिस का दावा है कि संगठित और सुनियोजित हिंसा ने एक राष्ट्रव्यापी पैटर्न अपनाया और उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी इसी तरह की हिंसा भड़की. हलफनामे में कहा गया है यह कोई अकेली घटना नहीं थी, बल्कि सुनियोजित हिंसा के ज़रिए सरकार को अस्थिर करने का एक सुनियोजित प्रयास था. न्याय प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल आरोपियों को कड़ी फटकार लगाते हुए पुलिस ने उनपर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने और कार्यवाही में देरी करने के लिए समन्वित रणनीति अपनाने का भी आरोप लगाया है. हलफनामे में कहा गया है, इस तरह का आचरण प्रक्रिया का बेशर्मी से दुरुपयोग है. साथ ही कहा गया है कि इन देरी ने न्याय की प्रक्रिया में बाधा डाली है. दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अधिवक्ता रजत नायर, ध्रुव पांडे कर रहे हैं. ये दंगे फरवरी 2020 में तत्कालीन प्रस्तावित नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर हुई झड़पों के बाद हुए थे. दिल्ली पुलिस के अनुसार, इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए. Share