नेपाल में अब नया बवाल, ओली सरकार के खिलाफ मैदान में क्यों उतरे Gen-Z विदेश By Nayan Datt On Sep 8, 2025 नेपाल में हजारों Gen-Z लड़के-लड़कियों ने काठमांडू समेत कई शहरों में प्रदर्शन किया. यह लोग सोशल मीडिया पर बैन, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. प्रधानमंत्री केपी ओली की सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप, रेडिट और X जैसे 26 सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन लगा दिया था. यह भी पढ़ें ईरान का बड़ा और हैरान करने वाला कदम! पाकिस्तान के बॉर्डर पर… Nov 14, 2025 PAK vs SL: श्रीलंकाई खिलाड़ियों के फैसले से PCB अध्यक्ष… Nov 13, 2025 नेपाल सरकार का कहना है कि बैन तभी हटेगा, जब ये कंपनियां नेपाल में अपना ऑफिस खोलें, सरकार से रजिस्टर हों, शिकायत सुनने वाले लोग रखें और गड़बड़ी रोकने के लिए सिस्टम बनाएं. सरकार का कहना है कि टिकटॉक और वाइबर ने सरकार की बात मानी, इसलिए उन पर बैन नहीं लगाया गया. बैन से क्या नुकसान हुआ जो लोग फेसबुक या इंस्टाग्राम से सामान बेचते थे, उनका बिजनेस रुक गया. YouTube और GitHub जैसे प्लेटफॉर्म नहीं चलने से बच्चों की पढ़ाई मुश्किल हो गई. विदेश में रहने वाले लोगों से बात करना महंगा और मुश्किल हो गया. लोगों में नाराजगी इतनी बढ़ी कि बहुत लोगों ने VPN से बैन तोड़ने की कोशिश की. प्रदर्शन कैसे शुरू हुआ सरकार ने टिकटॉक पर बैन नहीं लगाया गया था, तो लोगों ने इसी प्लेटफॉर्म पर वीडियो डालकर आंदोलन शुरू किया. नेताओं के बच्चों की ऐश और आम लोगों की बेरोजगारी की तुलना की गई. बहुत से वीडियो और #RestoreOurInternet जैसे हैशटैग वायरल हुए. प्रदर्शन में Gen-Z स्कूल यूनिफॉर्म में शामिल हुए, ताकि दिखे कि ये नौजवानों का आंदोलन है. 28 साल से ऊपर के लोगों को प्रदर्शन में आने नहीं दिया गया. इन्होंने सोशल मीडिया चालू करने, भ्रष्टाचार बंद करने, नौकरी और इंटरनेट एक्सेस की डिमांड रखी. 8 सितंबर की सुबह सुबह से हजारों युवा काठमांडू की सड़कों पर आ गए. मैतीघर और बानेश्वर में सुबह से ही बड़ी संख्या में नौजवान जुटने लगे. प्रदर्शनकारियों ने आजादी चाहिए, बैन हटाओ और भ्रष्टाचार बंद करो जैसे नारे लगाए. टिकटॉक पर इन प्रदर्शनों के लाइव वीडियो दिखाए जा रहे थे, ताकि पूरी दुनिया देख सके कि नेपाल के युवा क्या मांग रहे हैं. पुलिस ने कई रास्तों को बंद कर दिया और सुरक्षा बढ़ा दी, लेकिन फिर भी प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा. प्रदर्शन को किन नेताओं का समर्थन मिला काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने कहा कि यह सही आंदोलन है. नेपाल में राजशाही का समर्थन करने वाले नेता दुर्गा परसाई भी प्रदर्शन में शामिल हुए. राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने कहा कि सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन लगाना तानाशाही है. अब आगे क्या होगा? सरकार पर प्रतिबंध की समीक्षा करने का दबाव बढ़ रहा है. सरकार प्रदर्शन रोकने के लिए गिरफ्तारी का सहारा ले सकती है. क्योंकि सरकार को डर है कि फिर से 28 मार्च जैसी घटना न हो जाए. 28 मार्च 2025 को नेपाल में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की थी, जिसमें 2 लोगों की मौत हुई थी और और सैकड़ों घायल हुए थे. यह भी कहा जा रहा है कि आंदोलन से नेपाल में बड़ा बदलाव हो सकता है. कुल मिलाकर यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया के लिए नहीं था. नई पीढ़ी आजादी, ईमानदारी और अच्छा भविष्य चाहती है. नेपाल का भविष्य अब सरकार के फैसलों पर टिका है. Share