कम हो रही बारिश, पड़ता जा रहा सूखा… अमेजन के जंगलों में क्यों हो रहा ऐसा? विदेश By Nayan Datt On Sep 4, 2025 भारत में इस समय कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है. उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित दिल्ली में भी बाढ़ के हालात बने हुए हैं. हर तरफ अफरा-तफरी है और लोग बारिश के कहर से परेशान हो गए हैं. जहां भारत में पड़ रही यह मूसलाधार बारिश मुसीबत बना रही है. वहीं, हाल ही में एक रिसर्च सामने आई है जो बताती है कि अमेजन के जंगलों में बारिश क्यों धीरे-धीरे कम होती जा रही है. यह भी पढ़ें ईरान का बड़ा और हैरान करने वाला कदम! पाकिस्तान के बॉर्डर पर… Nov 14, 2025 PAK vs SL: श्रीलंकाई खिलाड़ियों के फैसले से PCB अध्यक्ष… Nov 13, 2025 अमेजन का जंगल दुनिया का सबसे बड़ा ट्रॉपिकल जंगल है. यह दक्षिण अमेरिका के 9 देशों में फैला हुआ है ब्राजील, बोलीविया, पेरू, इक्वाडोर, कोलंबिया, वेनेज़ुएला, गुयाना, सूरीनाम और फ़्रेंच गयाना (जो फ्रांस का क्षेत्र है). हाल ही कि रिसर्च में सामने आया है कि समय के साथ बारिश कम होती जा रही है. साल 1985 से 2020 के बीच हर साल ड्राई-सीजन में बारिश लगभग 21 मिलीमीटर कम हुई. क्या कहती है रिसर्च? दशकों से दुनिया का सबसे बड़ा रेनफॉरिस्ट (Rain forest) लगातार सूखता जा रहा है. नेचर कम्युनिकेशंस में पब्लिश एक नई रिसर्च से यह पता चलता है कि लगातार घटती बारिश के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? ग्लोबल वॉर्मिंग से लेकर लगातार जंगलों में हो रही पेड़ों की कटाई तक इन दोनों में से कौन सी वो एक ऐसी चीज है जिसको बारिश की घटती मात्रा का ज्यादा बड़ा कारण माना जाए. ब्राजील की साओ पाउलो यूनिवर्सिटी के मार्को फ्रैंको और लुईज़ ऑगस्टो टोलेडो मचाडो की लीडरशिप में रिसर्च की गई. रिसर्चर्स ने ब्राजील के लीगल अमेज़न क्षेत्र (लगभग 50 लाख वर्ग किलोमीटर, जो इस पूरे वन क्षेत्र का बड़ा हिस्सा है) में लैंड यूज और वायुमंडलीय आंकड़ों के 35 सालों पर स्टडी की. सांख्यिकीय मॉडलों (statistical models) की मदद से उन्होंने इस बात को लेकर स्टडी की के घटती बारिश के लिए कितना जिम्मेदार ग्लोबल वॉर्मिंग है और कितना पेड़ों की कटाई. पेड़ों की कटाई कितनी जिम्मेदार रिसर्च में यह सामने आया कि घटती बारिश के लिए पेड़ों की कटाई ज्यादा जिम्मेदार है. 1980 के मिडिल से लेकर अब तक बारिश में जो कमी आई है, उसका लगभग 3/4 (तीन-चौथाई) हिस्सा पेड़ काटने की वजह से है. वहीं, दूसरी तरफ ग्लोबल वॉर्मिंग का लगभग 1/6 (एक-छठा) हिस्सा भी पेड़ काटने की वजह से है. साल 1985 से 2020 के बीच हर साल ड्राई-सीजन में बारिश लगभग 21 मिलीमीटर कम हुई, जिसमें से 15.8 मिमी (74.5%) सिर्फ पेड़ काटने की वजह से घट गई. इसी दौरान ड्राई-सीजन में दैनिक अधिकतम तापमान लगभग 2°C बढ़ा, जिसमें से 0.39°C (16.5%) पेड़ों की कटाई की वजह से था. इसके अलावा बाकी बारिश में जो गिरावट आई वो ग्लोबल क्लाइमेट चेंज की वजह से हुई. ये नतीजे इस बात को साबित करते हैं, जिसे पर्यावरण वैज्ञानिक और मौसम वैज्ञानिक लंबे समय से कहते आ रहे थे—कि जंगल काटने से सिर्फ कार्बन का संतुलन नहीं बिगड़ता, बल्कि स्थानीय मौसम और बारिश पर भी बड़ा असर पड़ता है. अमेज़न के पेड़ क्लाइमेट में अहम भूमिका निभाते हैं. हर दिन अरबों पेड़ ज़मीन से पानी खींचकर उसे पत्तियों के जरिये हवा में छोड़ते हैं (जिसे transpiration कहते हैं). इसी से क्षेत्र की 40% से ज्यादा बारिश होती है. कटाई से कितना पड़ता है बारिश पर असर यह नमी ऊपर जाकर बादल बनाती है और फिर बारिश के रूप में वापस आती है. लेकिन, अगर जंगल काट दिए जाएं, तो यह साइकिल टूटने लगती है. पहले की रिसर्च बताती है कि जंगल में हर 1% कमी से, हर साल बारिश लगभग 3 मिमी घट जाती है. नई स्टडी इस बात की पुष्टि करती है और यह भी बताती है कि इसमें स्थानीय लैंड यूज (जैसे वनों की कटाई) और वैश्विक जलवायु परिवर्तन की भूमिका कितनी है. मानसून में भी आ रहा बदलाव रिसर्च यह भी बताती हैं कि पेड़ों की कटाई दक्षिण अमेरिकी मानसून को बदल रही है, जिससे ब्राजील के मिडिल और दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में सूखे का खतरा और बढ़ रहा है. अमेजन ने 2023 और 2024 में रिकॉर्ड तोड़ सूखा देखा, जिससे नदी यातायात बाधित हुआ और हाइड्रोपावर पर दबाव बढ़ गया. बारिश और तापमान में सबसे तेज बदलाव तब दिखता है जब जंगल का 1040% हिस्सा खत्म हो जाता है. यानी शुरुआती कटाई भी मौसम पर बड़ा असर डालती है. जहां जंगल सबसे ज़्यादा काटे गए, वहां सिर्फ वनों की कटाई की वजह तापमान 1.2°C से ज्यादा बढ़ गया और सूखे मौसम में बारिश 50 मिमी से ज्यादा घट गई. ग्लोबल वॉर्मिंग का असर वैश्विक उत्सर्जन (global emissions) का असर अब भी बहुत बड़ा है. रिसर्च में पाया गया कि इस क्षेत्र में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगभग 87 पार्ट्स प्रति मिलियन बढ़ी, जिसकी वजह से ज़्यादातर दुनिया भर में जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) का जलना है. इसी तरह, मीथेन की मात्रा लगभग 173 पार्ट्स प्रति बिलियन बढ़ी, जो लगभग पूरी तरह वैश्विक स्रोतों से आई. लेकिन, फर्क यह है कि ग्रीनहाउस गैसें धीरे-धीरे और हर जगह समान रूप से असर डालती हैं, जबकि पेड़ों की कटाई तुरंत और स्थानीय स्तर पर मौसम बदल देती है और इसका असर तुरंत ही दिखाई देने लगता है. आगे का खतरा अगर पेड़ों की कटाई की रफ्तार ऐसे ही जारी रही, तो 2035 तक ड्राई-सीजन की बारिश और 7 मिमी कम हो सकती है और तापमान 0.6°C बढ़ सकता है. इसका मतलब है कि अमेजन का जंगल सूखा और गर्म हो सकता है. ऐसा बदलाव जंगल की 11,000 से ज्यादा पेड़ प्रजातियों और उन समुदायों के लिए चुनौती होगा जो उन पर निर्भर हैं. अब तक कितनी हुई पेड़ों की कटाई अमेजन के मूल जंगल का लगभग 13.2% हिस्सा पेड़ों की कटाई और बाकी कारणों से नष्ट हो चुका है. कई हिस्से लकड़ी काटने और आग से और भी बुरी तरह खराब हो चुके हैं. पूर्वी हिस्से में तो 31% जंगल पहले ही खत्म हो चुका है. अच्छी खबर यह है कि 2024 में ब्राज़ीलियाई अमेजन में पेड़ों की कटाई 30.6% घटी, जो पिछले नौ साल का सबसे निचला स्तर था. लेकिन, बुरी खबर यह है कि 2024 में लगी आग ने 46 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा प्राइमरी फॉरेस्ट जला दिया. यह पिछले दशक के औसत वार्षिक नुकसान से दोगुना था. इस आग को रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, 70 साल का सबसे बुरा सूखा ने और भड़काया. 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